बाजारों से राज्य सरकारों की उधारी वित्त वर्ष 23 की पहली तिमाही में 50,000 करोड़ रुपये कम रहकर 1.4 लाख करोड़ रुपये रह सकती है। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वित्त वर्ष 22 के अंत तक केंद्र द्वारा बड़े पैमाने पर धन हस्तांतरण के कारण यह संभावना है।
वित्त वर्ष 23 में 1 अप्रैल से 2 मई के बीच सिर्फ आंध्र प्रदेश (44 अरब रुपये), महाराष्ट्र (40 अरब रुपये) पंजाब (25 अरब रुपये) और हरियाणा (15 अरब रुपये) ने राज्य विकास ऋण (एसडीएल) से जुटाए हैं। कुल मिलाकर इन राज्यों ने 124 अरब रुपये उधार लिए हैं। यह 19 राज्यों द्वारा शुरुआत में दिए गए 672 अरब डॉलर उधारी के संकेत की तुलना में करीब 82 प्रतिशत कम है। भारत सरकार ने वित्त वर्ष 22 के दौरान राज्यों को उल्लेेखनीय रूप से 8.8 लाख करोड़ रुपये जारी किए हैं, जो वित्त वर्ष 22 के संशोधित अनुमान में 7.4 लाख करोड़ रुपये था। रेटिंग एजेंसी के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 22 में 8.8 लाख करोड़ रुपये का करीब आधा चौथी तिमाही में जारी किया गया था।
वित्त वर्ष 22 के दौरान धन जारी किए जाने के बाद केंद्र सरकार ने मार्च 2022 के अंत में 951 अरब रुपये जारी किए। रिजर्व बैंक द्वारा वित्त वर्ष 23 की पहली तिमाही की उधारी की जरूरतों को अंतिम रूप देने के पहले ऐसा किया गया। इसकी वजह से राज्यों के पास पर्याप्त नकदी हो गई। इक्रा ने कहा कि इसकी वजह से राज्यों के पास अपने व्यय की जरूरतें पूरी करने के लिए उधारी से धन जुटाने की आवश्यकता कम हो गई।
ब़ॉन्ड डीलरों व विश्लेषकों ने कहा कि अनुमानित राशि व वास्तविक धन में भारी अंतर की वजह से निवेशकों की योजना पर असर पड़ा है, जिसमें बैंक ट्रेजरीज व बीमा कंपनियां भी शामिल हैं।
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से अप्रैल में धन का प्रवाह तेज रहने से यह अनुमान लगाने में मदद मिलेगी कि केंद्र से राज्यों को शेष तिमाहियों में कितना हस्तांतरण हो सकता है। डीलरों ने कहा कि इससे राज्यों द्वारा एसडीएल के माध्यम से बाजार से जुटाए जाने वाले धन में बड़े उतार चढ़ाव से बचने में मदद मिल सकती है।
