सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) अदार पूनावाला ने आज कहा कि कोविड-19 के नए स्वरूप ओमीक्रोन के खिलाफ ज्यादा प्रभावी नए टीके पर काम चल रहा है, लेकिन यह मानने की कोई वजह नहीं है कि बूस्टर खुराक से इस स्वरूप के खिलाफ पर्याप्त सुरक्षा नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा कि तीन साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए एसआईआई के कोवोवैक्स टीके पर परीक्षण चल रहा है और यह अगले छह महीने में पेश करने के लिए तैयार हो जाएगा।
पूनावाला ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के साझेदार सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि नीति-निर्माताओं को बूस्टर खुराक देने के फायदे-नुकसान का फैसला लेना चाहिए। पूनावाला ने कहा, ‘हम सरकार के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। ओमीक्रोन के खिलाफ टीके कितने प्रभावी हैं, इसके आंकड़े एक-दो महीने में हमारे पास आ जाएंगे। लेकिन बूस्टर खुराक एक प्रमाणित रणनीति है, जो निश्चित रूप से आपकी ऐंटीबॉडी बढ़ाएगी और आपको कुछ सुरक्षा देगी।’
पूनावाला ने कहा कि सीरम 3 साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए टीके के परीक्षण के चरण में पहुंच गई है और अगले छह महीनों में इसे पेश करने की स्थिति में होगी। उन्होंने कहा, ‘यह साबित करने के लिए पर्याप्त आंकड़े हैं कि टीके बच्चों की सुरक्षा करेंगे। अभी तक बच्चे ज्यादा प्रभावित नहीं हुए हैं। बच्चों में गंभीर बीमारी नहीं है।’ उन्होंने ओमीक्रोन को लेकर कहा कि यह तय है कि यह स्वरूप ज्यादा संक्रामक है और तेजी से फैलेगा। पूनावाला ने कहा कि शुरुआती रिपोर्ट दर्शाती हैं कि मरीजों में मामूली लक्षण दिख रहे हैं, लेकिन हमें कोविड के इस स्वरूप को हल्के में नहीं लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर साल 2021 जैसा नहीं होगा और आगे स्थितियां बेहतर होंगी।
उन्होंने कहा, ‘आज दुनिया बेहतर तैयार है और उम्मीद है कि बुरा दौर पीछे छूट चुका है। भारत सरकार एक प्रभावी स्वास्थ्य प्रणाली तैयार करने पर काम कर रही है, जिसने अस्पताल बेड और ऑक्सीजन के लिए पर्याप्त प्रावधान किए हैं।’ उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर टीकों की आपूर्ति उसकी मांग से आगे निकल गई है, लेकिन आगे टीका विनिर्माताओं के बीच वैश्विक समन्वय की जरूरत है। इसकी वजह से आम तौर पर टीकों को पेश करने में देरी होती है। उन्होंने कहा कि इस रुझान को बनाए रखने के लिए देशों को एकजुट होना चाहिए और कोई समझौता करना चाहिए ताकि टीकों के चिकित्सकीय परीक्षणों और विनिर्माण के लिए मानक नियम बनाए जा सकें। उन्होंने कहा, ‘बहुपक्षीय संगठन और नीति-निर्माता नए म्यूटेशन को चिह्नित करने और आइसोलेट करने तथा इसके खिलाफ टीकों की प्रभावित का पता लगाने में सक्षम होने चाहिए।’
स्वरूपों से निपटने के लिए टीके जरूरी
दिल्ली में आज ओमीक्रोन के चार नए मामले दर्ज किए गए, जिससे भारत में इस स्वरूप के कुल मामले बढ़कर 49 हो गए। इस बीच सीआईआई के कार्यक्रम में मौजूद नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी के पॉल ने जेनेरिक टीकों के त्वरित विकास से बढ़कर कदम उठाने पर बल दिया। उन्होंने कहा, ‘इस बात के आसार हैं कि बदलती स्थितियों में हमारे टीके निष्प्रभावी हो जाएं। ऐसे में कोविड के मौजूदा स्वरूपों से निपटने के लिए उसी प्लेटफॉर्म को इस्तेमाल कर टीके बनाने की जरूरत है।’
उन्होंने यह भी कहा कि एक बड़ी चुनौती टीकों तक पहुंच को सुधारना है, जो ओमीक्रोन के लिहाज से ज्यादा मुश्किल बन गई है। पॉल ने निजी उद्योग से कहा कि वह वैज्ञानिक शोध और दवा विकास पर ज्यादा पैसा खर्च करे। उन्होंने कहा कि हमें अगली वायरस जनित बीमारी या महामारी का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें दवा विकास चलन से बाहर नहीं होगा।
