सरकार ने गैलियम नाइट्राइड या सिलिकन कार्बाइड से बनने वाले चिप (कंपाउंड सेमीकंडक्टर) सहित सेमीकंडक्टर क्षेत्र में उन्नत अवसरों पर ध्यान लगाने का निर्णय किया है। सरकार मानती कि देश इस क्षेत्र में जल्द ही वैश्विक स्तर पर अगुआ बन सकता है। इस तरह के चिप की दुनिया भर में तेजी से मांग बढ़ रही है क्योंकि वाहन, रेलवे, विमानन, दूरसंचार उपकरण, एलईडी तथा पावर इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण जैसे क्षेत्रों में इसकी जरूरत पड़ती है।
माइक्रॉन के 2.75 अरब डॉलर के एटीएमपी संयंत्र के शिलान्यास कार्याक्रम में गुजरात के साणंद पहुंचे संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हम अब सेमीकंडक्टर के आला क्षेत्रों जैसे गैलियम नाइट्राइड या सिलिकन कार्बाइड से बनी चिप पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इस क्षेत्र में हम दुनिया भर का नेतृत्व कर सकते हैं।’
वैश्विक शोध संगठन प्रेसिडेंस रिसर्च के अनुसार इस तरह के सेमीकंडक्टर में व्यापक अवसर है क्योंकि कंपाउंड सेमीकंडक्टरों का वैश्विक बाजार 2022 में 34.23 अरब डॉलर के पार पहुंच गया और 2030 तक इसके 119.13 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
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कंपाउंड सेमीकंडक्टर बनाने वाला संयंत्र 18 महीने में तैयार हो जाता है, जबकि सिलिकन आधारित फैब संयंत्र को बनने में 3 से 4 साल लग जाते हैं। इसके अलावा दुनिया भर में कंपाउंड सेमीकंडक्टरों की भारी मांग है। कई कंपनियां इस क्षेत्र में आने की इच्छुक हैं और विश्लेषकों का कहना है कि इसमें सिलिकन फैब संयंत्र की तुलना में काफी कम निवेश की जरूरत होती है। फैब संयंत्र में कम से कम 5 से 7 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत होती है।
शुरुआत में सरकार देश में कम से कम दो बड़े सिलिकन फैब संयंत्र लगाने पर ध्यान दे रही थी। यह निर्णय तब लिया गया था, जब सेमीकंडक्टर विनिर्माण के लिए दुनिया भर में होड़ लगी थी। टीएसएमसी, ग्लोबल फाउड्रीज, इंटेल, सैमसंग और टैक्सस इंस्ट्रूमेंट्स ने अमेरिका, यूरोप, दक्षिण कोरिया आदि में नया कारखाना लगाने पर कुल मिलकार 200 से 250 अरब डॉलर निवेश करने का संकल्प किया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को मलेशिया का मॉडल अपनाना चाहिए और उसकी तरह एटीएमपी जैसे क्षेत्रों पर ध्यान देना चाहिए।
मलेशिया एटीएमपी का अग्रणी केंद्र है और वहां सेमीकंडक्टर असेंबली एवं परीक्षण का काम ठेके पर होता है। करीब 40 से 50 सेमीकंडक्टर कंपनियों ने मलेशिया में अपने संयंत्र लगाए हैं।
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सरकार ने इस क्षेत्र में अवसर तलाश रही वैश्विक और देसी कंपनियों के साथ चर्चा की है। ताइवान की कंपनी फॉक्सकॉन भी कंपाउंड सेमीकंडक्टर तकनीकी वाली इकाई लगाने पर बात कर रही है। इससे पहले फॉक्सकॉन ने वेदांत के साथ फैब संयंत्र लगाने के लिए संयुक्त उपक्रम बनाया था लेकिन बाद में उससे पीछे हट गई थी।
अमेरिका की सिलिकन पावर भी सिलिकन कार्बाइड वाला कंपाउंड सेमीकंडक्टर संयंत्र लगाने की संभावना तलाश रही है। कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी हर्षद मेहता ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि कंपनी ने विमानन और रक्षा क्षेत्र में अपनी जरूरतों के लिए सेमीकंडक्टर लेने के वास्ते टाटा के साथ शुरुआती बातचीत की थी।
देश में हीरानंदानी समूह की कंपनी टार्क सेमीकंडक्टर्स ने कहा कि कंपाउंड सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला में निवेश की उसकी योजना है।