वित्तीय संकट के दौर में महंगी ब्याज दरों की वजह से कंपनियों को कर्ज जुटाना काफी भारी पड़ रहा है।
ऐसे में कंपनियों ने इसका अनूठा तोड़ निकाला है। दरअसल, कंपनियां एडवांस कर भुगतान की राशि को अपने फंड के तौर पर इस्तेमाल कर रही हैं। उल्लेखनीय है कि कंपनियों की ओर से हर तिमाही यानी वित्त वर्ष में चार किश्तों में एडवांस कर का भुगतान करना होता है।
अगर कोई कंपनी ऐसा करने में सक्षम नहीं हो पाती है, तो साल के अंत में बकाया राशि पर कुछ ब्याज देना पड़ता है, जो करीब 12 फीसदी की दर से लिया जाता है। ऐसे में कंपनियां ज्यादा ब्याज दर पर कर्ज लेने के बजाय कर भुगतान पर ब्याज देने को उचित मान रही हैं।
ऐसा इसलिए, क्योंकि कर भुगतान में देरी होने पर करीब 12 फीसदी ब्याज लगता है, वहीं वित्तीय संस्थाओं से कर्ज लेने पर उन्हें 13 से 16 फीसदी का ब्याज देना पड़ता है। ऐसे में कंपनियों को करीब 2 से 4 फीसदी ब्याज पर बचत हो रही है।
यही नहीं, कंपनियों की ओर से एडवांस कर के आंकलन को भी काफी बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जा रहा है, जबकि मूल भुगतान इससे काफी कम किया जा रहा है। अप्रैल से अक्टूबर माह के दौरान कंपनियों की ओर से सेल्फ एसेसमेंट टैक्स में 86 फीसदी का इजाफा हुआ है।
हालांकि कंपनियों की इस जोड़-तोड़ पर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) का ध्यान गया है। अब सीबीडीटी कंपनियों के सेल्फ एसेसमेंट टैक्स में हो रहे तेज इजाफे को कम करने की योजना बना रहा है, वहीं कुछ मामलों की जांच करने का भी बोर्ड मन बना रहा है।
आयकर नियमों के तहत कंपनियों की ओर से एडवांस कर का भुगतान 4 किश्तों में किया जाता है, जो कंपनी के मुनाफे के आंकलन पर आधारित होता है। इसके मुताबिक, कुल कर में से 30 फीसदी रकम का भुगतान 15 जून तक करना होता है, जबकि शेष रकम का 45 फीसदी 15 सितंबर तक देना पड़ता है। उसके बाद 15 दिसंबर तक बाकी रकम का 75 फीसदी का भुगतान करना पड़ता है और बाकी रकम 15 मार्च तक भुगतान करना पड़ता है।
हालांकि व्यक्तिगत कर के 30 फीसदी का भुगतान 15 सितंबर तक और बाकी रकम दो किश्तों-15 दिसंबर और 15 मार्च में करना पड़ता है। अगर कर का भुगतान नियम के मुताबिक न हो या फिर भुगतान में देर की जाती है, तो साल के अंत में कर की राशि पर ब्याज का भी भुगतान करना पड़ता है।
कंपनियां इसी का फायदा उठा रही हैं। हालांकि आयकर विभाग कंपनियों की ओर से की जा रही इस कवायद पर अंकुश लगाने में जुट गया है। सीबीडीटी की सरोज बाला का कहना है कि बोर्ड इस बात की जांच कर रहा है कि एडवांस टैक्स का कितना प्रावधान किया गया था और वास्तव में कंपनियों की ओर से कितना कर का भुगतान किया गया।
सीबीडीटी इस बात पर भी विचार कर रहा है कि कंपनियों की ओर से एडवांस टैक्स का भुगतान समय पर किया जाए और भुगतान टाला नहीं जाए। अगर जरूरत पड़ी, तो विभाग कानूनी कदम भी उठाने को तैयार है।
कंपनियां अग्रिम कर की राशि को फंड के रूप में कर रही हैं इस्तेमाल
कर भुगतान में देरी पर लगने वाला ब्याज देने को है कंपनियां तैयार
वित्तीय संस्थाओं से कर्ज लेना पड़ रहा है इससे कहीं ज्यादा महंगा