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आवास, सड़क और रेल पर पूंजीगत व्यय बेहतर

वित्त मंत्रालय ने पूंजीगत व्यय के मानकों में ढील दी है और तिमाही समीक्षा बैठकें तेज की है, जिससे चुनाव के कारण व्यय में आई सुस्ती खत्म की जा सके।

Last Updated- September 11, 2024 | 10:26 PM IST
वित्त वर्ष 2024 में फिर धीमा पड़ा कंपनियों का पूंजीगत व्यय, Capital expenditure of companies slowed down again in financial year 2024

अप्रैल-जुलाई के दौरान केंद्र सरकार के सुस्त पूंजीगत व्यय के बीच आवास (35 प्रतिशत), सड़क (34 प्रतिशत), रेलवे (34 प्रतिशत) के साथ स्वास्थ्य (32 प्रतिशत) और परमाणु ऊर्जा (30 प्रतिशत) क्षेत्र का खर्च करने में प्रदर्शन बेहतर रहा है। सरकार के आंकड़ों से पता चलता है कि 4 महीने के दौरान इन क्षेत्रों ने 24 प्रतिशत से अधिक पूंजीगत व्यय किया है।

बहरहाल लेखा महानियंत्रक के आंकड़ों के मुताबिक इस अवधि के दौरान पूंजीगत व्यय में पीछे रहने वाले विभागों में दूरसंचार विभाग शामिल है, जिसने बजट अनुमान का सिर्फ 1 प्रतिशत खर्च किया है, जबकि पिछले साल की समान अवधि के दौरान विभाग ने 44 प्रतिशत खर्च कर दिया था।

पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय ने भी अप्रैल-जुलाई के दौरान बजट अनुमान का महज 4 प्रतिशत खर्च किया था, जबकि पिछले साल की समान अवधि के दौरान 10 प्रतिशत खर्च किया था।

इस विश्लेषण में वित्त वर्ष 2025 के लिए मंत्रालयों और विभागों को 2,000 करोड़ रुपये से अधिक के पूंजीगत व्यय आवंटन को ध्यान में रखा गया है। पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों को हस्तांतरण भी सुस्त होकर बजट अनुमान का 12 प्रतिशत रहा है, जो पिछले साल की समान अवधि में 24 प्रतिशत था।

केंद्र व राज्यों दोनों का पूंजीगत व्यय सहित अंतिम खपत व्यय जून तिमाही के दौरान 0.2 प्रतिशत कम हुआ है, जिसकी वजह आम चुनाव के कारण लागू आदर्श आचार संहिता है। इसके कारण इस तिमाही के दौरान जीडीपी वृद्धि (GDP Growth) घटकर 6.7 प्रतिशत रह गई है।

पूंजीगत व्यय में आगे रहे रेल व सड़क मंत्रालयों ने बजट अनुमान का 34 प्रतिशत खर्च किया है। इसके पहले के साल की समान अवधि में रेल मंत्रालय ने बजट अनुमान का 47 प्रतिशत और सड़क मंत्रालय ने 40 प्रतिशत खर्च किया था।

बैंक ऑफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘पूंजीगत व्यय का बड़ा हिस्सा सड़क व रेल क्षेत्र पर केंद्रित रहा। सरकार के दिमाग में कुछ निश्चित परियोजनाएं हैं। पहली तिमाही में ध्यान देने का वक्त कम था। जुलाई में पूंजीगत व्यय बढ़ा है। अगले 7 महीनों में यह मसला नहीं होगा।’

पहली तिमाही में केद्र का पूंजीगत व्यय 1.8 लाख करोड़ रुपये रहा है, जो पिछले साल की समान अवधि के 2.7 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 33 प्रतिशत कम है। वित्त मंत्रालय ने पूंजीगत व्यय के मानकों में ढील दी है और तिमाही समीक्षा बैठकें तेज की है, जिससे चुनाव के कारण व्यय में आई सुस्ती खत्म की जा सके।

First Published - September 11, 2024 | 10:26 PM IST

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