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  अर्थव्यवस्था  घाटे को बैंक भी सहें
अर्थव्यवस्था

घाटे को बैंक भी सहें

बीएस संवाददाता बीएस संवाददाता | नई दिल्ली—December 17, 2008 12:00 AM IST0
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वाणिज्य मंत्रालय ने घरेलू बैंकों से कहा है कि डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा रुपया में आए उतार-चढ़ाव की वजह से निर्यातकों को डेरिवेटिव्स सौदों में हुए नुकसान का 50 फीसदी खुद वहन करे।


वर्ष 2008 में डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमतों में करीब 20 फीसदी की गिरावट आई है। ऐसे में निर्यातकों ने वाणिज्य मंत्रालय से शिकायत की थी कि डेरिवेटिव्स सौदों में हुए घाटे से उनके कारोबार पर असर पड़ सकता है।

पिछले साल कई निर्यातकों ने इस बात की शिकायत की थी कि बैंकों की ओर से उन्हें गलत तरीके से डेरिवेटिव्स उत्पादों को बेचा गया, जिससे निर्यातकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। इस मामले में कुछ कंपनियों की ओर से बैंकों के खिलाफ कोर्ट में भी मुकदमा दायर किया गया था।

हालांकि इस बीच, डॉलर, जापनी मुद्रा येन और स्विस फ्रैंक के मुकाबले रुपये में तेजी दर्ज की गई। डेरिवेटिव्स उत्पाद इन्हीं मुद्राओं से संबंधित थे, ऐसे में फिलहाल वह मामला दब-सा गया।

सरकार के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय के प्रस्ताव के मुताबिक, बैंकों और निर्यातकों को समान अनुपात में डेरिवेटिव्स घाटे को वहन करना चाहिए।

हालांकि इस प्रस्ताव पर वित्त मंत्रालय का क्या रुख है, इस बारे में फिलहाल पता नहीं चल पाया है। सूत्रों का कहना है कि अगर यह प्रस्ताव मंजूर हो जाता है, तो रिजर्व बैंक भी इस मामले में हस्तक्षेप कर सकता है।

मंत्रालय का कहना है कि अगर बैंक डेरिवेटिव्स के बकाया और अग्रिम सौदों पर नरम रुख नहीं अपनाती है, तो निर्यात कारोबार से जुड़े हजारों छोटी कंपनियों पर ताला जड़ सकता है।

जानकारों का कहना है कि पिछले वित्त वर्ष में डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा 39 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। उसके बाद शेयर और पोर्टफोलियो निवेशक खूब पैसा लगा रहे थे।

लेकिन वर्ष 2008 में स्थिति इसके ठीक उलट हो गई। वित्तीय संकट की वजह से पोर्टफोलियो निवेशक भारतीय शेयर बाजार से करीब 14 अरब डॉलर रकम निकाल चुके हैं।

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (एफआईईओ) के अध्यक्ष गणेश कुमार गुप्ता ने बताया कि जब रुपया मजबूत हो रहा था, तब कई निर्यातकों ने बैंकों के डेरिवेटिव्स उत्पादों को खरीदा था। गुप्ता को भी इस सौदे की वजह से 3 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

वर्ष 2007-08 में निर्यातकों को करीब 24,800 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ सकता है। इस सौदे में आगे करीब 5000 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है।

निर्यातकों पर मार

निर्यातकों को बचाने के लिए वाणिज्य मंत्रालय ने दिया प्रस्ताव

डेरिवेटिव्स सौदों में हुए नुकसान को बैंक और निर्यातक, दोनों मिलकर करें वहन

रुपये की कीमतों में गिरावट की वजह से निर्यातकों को हो रहा काफी नुकसान

loss banks also should bear
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