रिटेल लीजिंग में बदलाव देखने को मिल रहा है। इस क्षेत्र में अब अपैरल यानी परिधान सेगमेंट के दबदबा में कमी आ रही है, जबकि फूड व बेवरेज (खान पान) की हिस्सेदारी बढ़ रही है। अपैरल की हिस्सेदारी में कमी आने के बावजूद इसकी अभी भी सबसे अधिक हिस्सेदारी बनी हुई है। ब्यूटी व वेलनेस के साथ ज्वैलरी और स्पोर्ट की हिस्सेदारी भी बढ़ रही है। एनारॉक रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 2025 की पहली छमाही में शीर्ष 7 शहरों में 20 लाख वर्ग फुट से अधिक रिटेल मांग में से लगभग 33 फीसदी अपैरल ब्रांडों द्वारा, 21 फीसदी एफएंडबी ब्रांडों द्वारा, 16 फीसदी मनोरंजन क्षेत्रों द्वारा और 11 फीसदी घरेलू और जीवन शैली ब्रांडों द्वारा लीज पर ली गई।
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रिटेल लीजिंग में घट रही है अपैरल सेगमेंट की हिस्सेदारी
एनारॉक रिटेल के सीईओ और एमडी अनुज केजरीवाल कहते हैं कि वित्त वर्ष 2019 में रिटेल लीजिंग में अपैरल सेगमेंट की हिस्सेदारी 42 फीसदी थी, जो वित्त वर्ष 2025 में घटकर 37 फीसदी रह गई। हालांकि इतनी गिरावट के बावजूद अपैरल सेगमेंट का दबदबा बना हुआ है क्योंकि इसकी अभी भी सबसे अधिक हिस्सेदारी है। केजरीवाल ने कहा कि आगे भी अपैरल सेगमेंट की हिस्सेदारी और घटने की संभावना है। वित्त वर्ष 2030 तक यह घटकर 32 फीसदी रह सकती है। उन्होंने कहा कि अपैरल ब्रांडों की लीजिंग हिस्सेदारी में गिरावट की वजह हाइपरमार्केट है और इन ब्रांडों को ई-कॉमर्स से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। क्विक कॉमर्स के बढ़ते चलन से इनकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं।
फूड व बेवरेज के साथ अन्य की हिस्सेदारी बढ़ी
रिटेल लीजिंग में अपैरल सेगमेंट की हिस्सेदारी घटने के बीच दूसरे सेगमेंट खासकर फूड व बेवरेज (एफएंडबी) की बढ़ी है। एनारॉक रिसर्च के अनुसार रिटेल लीजिंग में एफएंडबी की वित्त वर्ष 2019 में 8 फीसदी हिस्सेदारी थी, जो वित्त वर्ष 25 में बढ़कर 12 फीसदी हो गई। वित्त वर्ष 30 में यह और बढ़कर 16 फीसदी होने का अनुमान है। एफएंडबी के साथ ही पिछले कुछ वर्षों में स्पोर्ट व ज्वैलरी क्षेत्र मॉल में तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। केजरीवाल कहते हैं कि वित्त वर्ष 2019 में ज्वेलरी क्षेत्र की हिस्सेदारी मामूली 2 फीसदी थी, जो वित्त वर्ष 2025 में बढ़कर 5 फीसदी हो गई और वित्त वर्ष 30 में इसके बढ़कर 13 फीसदी तक पहुंचने का अनुमान है।