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जनहित के करण नहीं लगेगा डंपिंगरोधी शुल्क

Last Updated- December 11, 2022 | 9:09 PM IST

वित्त मंत्रालय ने कहा है कि वाणिज्य मंत्रालय की ओर से की गई डंपिंगरोधी शुल्क और सेफगार्ड शुल्क की सिफारिशों को खारिज करने की वजह जनहित और आंकड़ों के विश्लेषण पर मतभेद है। यह सरकार की दो इकाइयों के बीच विवाद की वजह बन गया था।
केंद्रीय अप्रत्यक्ष और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के चेयरमैन विवेक जौहरी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि केंद्र सरकार को डंपिंगरोधी शुल्क लगाना है अथवा नहीं इस पर विचार करते समय विनिर्माण उद्योग और उपयोगकर्ता उद्योग के हित के बीच संतुलन बैठाना होगा। उन्होंने कहा, ‘हमारे लिए एक मुश्किल काम होता है।’         
डंपिंगरोधी शुल्क किसी आयातित वस्तु के दाम में अचानक से गिरावट आने पर किसी विशेष देश के खिलाफ लगाया जाता है वहीं सेफगार्ड शुल्क किसी विशेष देश के खिलाफ नहीं होता है। आयात में अचानक से तेजी आने पर घरेलू उद्योग के हितों की रक्षा के लिए सेफगार्ड शुल्क लगाया जाता है जिसका कीमत में गिरावट से कोई लेनादेना नहीं होता।
मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक वाणिज्य मंत्रालय के तहत व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) विस्तृत जांच परख के बाद वित्त मंत्रालय में राजस्व विभाग को किसी खास उत्पाद पर डंपिंगरोधी या सेफगार्ड शुल्क लगाना है अथवा नहीं की सिफारिश करता है। हालांकि, डीजीटीआर की सिफारिशों को मानने या खारिज करने का अंतिम अधिकार वित्त मंत्रालय के पास होता है।
संबंधित घरेलू उद्योग डंपिंगरोधी जांच शुरू करने के लिए एक आवेदन डीजीटीआर के पास दे सकता है और इस आवेदन को तभी वैध माना जाता है जब यह ऐसे घरेलू उत्पादकों द्वारा किया जाए जिनकी उस वस्तु के कुल घरेलू उत्पादन में कम से कम 25 फीसदी हिस्सेदारी हो।
आवेदन को तब भी वैध माना जाता है जब उसे ऐसे घरेलू उत्पादकों का समर्थन हासिल हो जिनका सामूहिक उत्पादन इसी तरह की वस्तु के कुल उत्पादन के 50 फीसदी से अधिक हो।
जौहरी ने कहा कि वाणिज्य मंत्रालय की भूमिका तथ्यों की जांच करने की है जो कि वह बेहद सावधानीपूर्वक करता है। उन्होंने कहा, ‘उसको लेकर हमें कोई समस्या नहीं है। यह आंकड़ों पर विचार कर रहा है और विस्तृत जानकारियों को सामने लेकर आ रहा है। लेकिन यह जनहित से जुड़ा है या नहीं, शुल्क को लागू करना है या नहीं यह निर्णय मंत्रालय को लेना है। इस बात को लेकर मतभेद हो सकता है कि आपने आंकड़ों का विश्लेषण किस प्रकार से किया है।’
वाणिज्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि विगत तीन वर्षों में वित्त मंत्रालय ने डीजीटीआर की करीब 50 से 60 सिफारिशों को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘भले ही वित्त मंत्रालय अंतिम निर्णय करते वक्त एक बड़ी तस्वीर पर विचार कर रहा हो लेकिन यह एक नया चलन है।’
जौहरी ने कहा कि जब सीबीआईसी ने डंपिंगरोधी शुल्कों और एक समयावधि में इसके रुझानों का विश्लेषण किया तो पाया कि कुछ ऐसे मामले हैं जिनमें डंपिंगरोधी शुल्क 15 से 20 वर्षों से लगाए जा रहे हैं।
विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) द्वारा भारत की ताज व्यापार नीति समीक्षा के मुताबिक भारत डब्ल्यूटीओ में डंपिंगरोधी उपायों का मुख्य उपयोगकर्ता बना हुआ है।  

First Published - February 20, 2022 | 11:10 PM IST

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