facebookmetapixel
क्या टेक कंपनियां गलत दांव लगा रही हैं? Meta AI के अगुआ यान लेकन ने ‘LLM’ की रेस को बताया गलत41% अपसाइड के लिए Construction Stock पर खरीदारी की सलाह, ₹45 से नीचे कर रहा ट्रेडPM Kisan 21st installment: कब आएगा किसानों के खातें में पैसा? चेक करें नया अपडेटलाइफ सर्टिफिकेट जमा करना चाहते हैं? घर बैठे आधार की मदद से चुटकियों में होगा काम!पिछले 5 साल में कंपनियों ने IPO से जुटाए ₹5.39 लाख करोड़, इश्यू के औसत साइज में भी इजाफाडिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट रिजेक्ट हो गया? जानिए ऐसा क्यों होता है और इसे कैसे ठीक कर सकते हैंआंध्र प्रदेश बनेगा भारत का पहला गीगा-स्केल इलेक्ट्रिक एयर टैक्सी हब, अनंतपुर में लगेगी ‘Sky Factory’2026 में बॉन्ड से पैसा बनाना चाहते हैं? निवेश से पहले जान लें Axis AMC की खास स्ट्रैटेजीNFO Alert: म्युचुअल फंड बाजार में आया एक नया लिक्विड फंड, ₹5,000 से निवेश शुरू; क्या है इसमें खास?45% गिर चुका ये रेलवे स्टॉक, ब्रोकरेज बोला– BUY; अब बना है 51% तक कमाई का बड़ा मौका

पिछले 5 साल में कंपनियों ने IPO से जुटाए ₹5.39 लाख करोड़, इश्यू के औसत साइज में भी इजाफा

पिछले 5 साल में औसत आईपीओ साइज काफी बढ़ा है। 2020-2025 के दौरान औसत साइज 1,605 करोड़ रुपये था। पहले यह औसत सिर्फ 692 करोड़ रुपये था।

Last Updated- November 18, 2025 | 4:24 PM IST
Groww IPO

भारत के कैपिटल मार्केट ने पिछले 5 साल में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। इस दौरान कंपनियों ने आईपीओ के जरिए 5,39,400 करोड़ रुपये जुटाए हैं। यह राशि 2000 से 2020 के बीच जुटाए गए 4,55,800 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है। इस तेजी की खास बात यह है कि अब कम आईपीओ लाकर भी ज्यादा फंड जुटाया जा रहा है। 2020-2025 के बीच 336 आईपीओ आए। जबकि 2000-2020 के बीच 658 आईपीओ जारी हुए थे। इक्विरस कैपिटल ने अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है।

इक्विरस कैपिटल के एमडी भावेश शाह का कहना है कि पिछले 5 साल में औसत आईपीओ साइज काफी बढ़ा है। 2020-2025 के दौरान औसत साइज 1,605 करोड़ रुपये था। पहले यह औसत सिर्फ 692 करोड़ रुपये था।

OFS का बढ़ना और कमाई के नए मौके

कैपिटल मार्केट में तेजी से प्रमोटरों और निवेशकों को शेयर बेचकर कमाई का मौका मिला है। इसका असर आईपीओ में बढ़ते ऑफर फॉर सेल (OFS) के हिस्से में दिख रहा है। शाह बताते हैं कि ओएफएस की बढ़ती स्वीकार्यता से प्राइवेट इक्विटी निवेशकों को बाहर निकलना आसान हुआ है। साथ ही प्रमोटरों को भी अपने बिजनेस का छोटा हिस्सा बेचकर पूंजी जुटाने में आसानी हुई है।

प्राइवेट इक्विटी निवेशों का बाहर निकलना तेज

2025 के पहले 10 महीनों में पीई एग्जिट में सेकेंडरी सेल का हिस्सा बढ़कर 16% हो गया है। 2024 में यह सिर्फ 7% था। ब्लॉक डील्स अभी भी सबसे ज्यादा इस्तेमाल होती हैं, लेकिन उनका योगदान 67% से घटकर 56% रह गया है।

शाह का मानना है कि आने वाले सालों में डील वॉल्यूम और बढ़ेगा। क्योंकि 165 अरब डॉलर के पीई निवेश अब मैच्योर हो रहे हैं और जल्द ही डिसइन्वेस्टमेंट में जाएंगे।

इक्विरस के अनुसार, 2026 में आईपीओ बाजार तीन बड़े ट्रेंड से आगे बढ़ेगा। पहला, न्यू-एज और डिजिटल कंपनियों के आईपीओ में निवेशकों की दिलचस्पी लगातार बढ़ रही है। दूसरा, बड़े और रिकॉर्ड तोड़ आईपीओ बाजार में अधिक लिक्विडिटी लाएंगे। तीसरा, टियर-2 और टियर-3 शहरों से आने वाले आईपीओ की भागीदारी तेजी से बढ़ रही है। शाह का कहना है कि अब छोटे शहरों से आने वाले आईपीओ कुल वैल्यू का एक-चौथाई से भी ज्यादा हिस्सा रखते हैं। जबकि 2021 में यह हिस्सा केवल 4% था।

First Published - November 18, 2025 | 4:24 PM IST

संबंधित पोस्ट