Axis Asset Management Company का कहना है कि 2026 में भारत का बॉन्ड बाजार काफी शांत रहेगा। मतलब, ब्याज दरें ज्यादातर समय एक जैसी रहेंगी, और निवेशकों को बॉन्ड से बहुत ज्यादा कमाई या बड़ा फायदा नहीं मिलेगा। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ सालों में बाजार कभी बढ़ा, कभी उतार–चढ़ाव आया, लेकिन अब 2026 में बाजार स्थिर रहेगा। इस वजह से लंबी अवधि के बॉन्ड से भी तेज मुनाफे की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक दिसंबर 2025 में एक बार ब्याज दरें घटा सकता है, लेकिन इसके बाद 2026 में ज्यादातर समय कोई बड़ा बदलाव नहीं करेगा। इसकी वजह यह है कि महंगाई काबू में है और देश की अर्थव्यवस्था भी ठीक-ठाक चल रही है। इसलिए RBI के लिए ब्याज दरों को जैसा है वैसा ही रखना ज्यादा सही माना जा रहा है, ताकि बाजार और अर्थव्यवस्था दोनों स्थिर रहें।
रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में बाजार में जो ज्यादा नकदी थी, वह 2026 में धीरे-धीरे कम होती दिख रही है। इसका कारण यह है कि बाजार में पैसे का फ्लो कम हो सकता है, RBI को विदेशी मुद्रा बाजार में ज्यादा दखल देना पड़ सकता है, और बैंकों से वह पैसा निकलना, जिसे वे अपने नियमों के तहत RBI के पास रखना पड़ता है। जब बाजार में अतिरिक्त पैसा कम हो जाता है, तो कम अवधि की ब्याज दरें बढ़ने लगती हैं, और पूरी ब्याज दरों की लाइन (यील्ड कर्व) धीरे-धीरे सीधी और सपाट होने लगती है।
Also Read: NFO Alert: म्युचुअल फंड बाजार में आया एक नया लिक्विड फंड, ₹5,000 से निवेश शुरू; क्या है इसमें खास?
Axis AMC का कहना है कि 2026 में ऐसी निवेश रणनीति अच्छी चलेगी जो नियमित और स्थिर आय देती है, जिसे Accrual Strategy कहते हैं। इसमें खास तौर पर 2 साल वाले AA रेटिंग के कॉरपोरेट बॉन्ड अच्छे विकल्प बन सकते हैं, क्योंकि ब्याज दरें बहुत ज्यादा गिरने वाली नहीं हैं और बाजार में अतिरिक्त नकदी भी कम हो रही है। ऐसे माहौल में नियमित और भरोसेमंद आय देने वाले बॉन्ड निवेशकों के लिए ज्यादा सुरक्षित और फायदेमंद साबित होते हैं।
रिपोर्ट का कहना है कि निवेशकों को ऐसा पोर्टफोलियो बनाना चाहिए जिसमें दो तरह के बॉन्ड हों – पहले, शॉर्ट-टर्म कॉरपोरेट बॉन्ड, जो हर महीने या साल में नियमित और स्थिर आय देते हैं; और दूसरे, लंबी अवधि वाले सरकारी बॉन्ड, जो सही समय पर ज्यादा फायदा भी दिला सकते हैं। अभी लंबे समय के सरकारी बॉन्ड लगभग 7.4–7.5% का रिटर्न दे रहे हैं, जो सुरक्षित भी है और अच्छी कमाई भी देता है।
इसके साथ ही उम्मीद है कि भारत के FAR बॉन्ड्स Bloomberg Global Index में शामिल हो सकते हैं। अगर ऐसा हुआ, तो देश में 25–30 अरब डॉलर तक विदेशी निवेश आ सकता है, जिससे लंबे समय वाले सरकारी बॉन्ड की मांग बढ़ जाएगी। वहीं RBI भी बाजार में OMO के जरिए लंबी अवधि वाले बॉन्ड की कीमत और मांग को संतुलित रखने में मदद कर सकता है।
रिपोर्ट बताती है कि आगे चलकर तीन बड़े खतरे सामने आ सकते हैं। पहला, सरकार FY27 में ज्यादा कर्ज ले सकती है, जिससे बाजार पर दबाव बढ़ेगा। दूसरा, देश की आर्थिक वृद्धि कमजोर पड़ सकती है, जो बॉन्ड बाजार के लिए अच्छा नहीं होगा। और तीसरा, भारत के बॉन्ड्स का Bloomberg इंडेक्स में शामिल होना देर से हो सकता है या हो ही न पाए, जिससे विदेशी निवेश कम आ सकता है। इनमें से कोई भी बात सच होती है तो बॉन्ड की यील्ड और बाजार के ढांचे पर असर पड़ेगा, और निवेशकों की योजनाएं गड़बड़ा सकती हैं।
Axis AMC का मानना है कि 2026 ऐसा साल होगा जिसमें बाजार तेज रैली के पीछे भागने वालों को नहीं, बल्कि स्थिर और सोच-समझकर पोर्टफोलियो बनाने वालों को पुरस्कृत करेगा। स्थिर ब्याज दरें और कम होती तरलता का माहौल उन रणनीतियों के अनुकूल है जो नियमित आय देती हैं, जैसे accrual और barbell। यानी आने वाला साल तेज़ मुनाफ़ा कमाने की कोशिश के बजाय एक मजबूत और आय-केंद्रित निवेश ढाँचा बनाने का है।