विश्व की चार बड़ी कंपनियां बायर, जेन जीरो (वित्तीय प्रमुख के पूर्णस्वामित्व वाली आनुषांगिक), शेल और मित्सुबिशी ने भारतीय किसानों को पर्यावरण क्रेडिट तैयार करने के लिए सशक्त बनाने का फैसला किया है। इस क्रम में भारत के नौ राज्यों में किसानों को स्मार्ट कृषि के तरीके अपनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इन तरीकों में वैकल्पिक गीला व सुखाने (एडब्ल्यूडी) और प्रत्यक्ष बीज वाले चावल हैं।
यह परियोजना बीते एक साल से अधिक समय से प्रायोगिक तौर पर जारी है। इसमें 10,000 किसानों को सकारात्मक परिणाम मिले हैं और 25,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि को शामिल किया गया है। कृषि क्षेत्र में बायर और मित्सुबिशी वैश्विक नेतृत्वकर्ता हैं और शेल ऊर्जा क्षेत्र में अग्रणी है।
आधिकारिक बयान के अनुसार ‘द गुड राइस अलायंस’ परियोजनाओँ के तहत कृषि से सालाना आधार पर 1,00,000 टन कार्बन डाइआक्साइड के बराबर मीथेन का उत्सर्जन घटाया गया है। यह संबंधित किसानों को दिया गया है और इससे वे अतिरिक्त आमदनी कमा सकेंगे।
यह गठबंधन करीब 8,500 हेक्टेयर क्षेत्रफल को शामिल करके इस कार्यक्रम का विस्तार कर रहा है। इसमें धान के खेतों से जीएचजी उत्सर्जन के लिए वैज्ञानिक तरीके अपनाए जाएंगे। इससे किसानों को मददगार और सहायता प्रणाली मजबूत होगी। कार्यक्रम क्रियान्वयन के पहले दो वर्षों के आधार पर स्केल अप का पता लगाएगा।
अभी राइस अलायंस (चावल गठजोड़) में देश के प्रमुख चावल उत्पादक राज्य शामिल हैं। इन राज्यों में आंध्र प्रदेश, बिहार, हरियाणा, कर्नाटक, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। धान की पैदावार वैश्विक स्तर पर 11 प्रतिशत मीथेन उत्सर्जन के लिए उत्तरदायी है। मीथेन संभावित ग्रीन हाउस गैस है और इसमें कार्बन डाइआक्साइड से 27 गुना अधिक क्षमता है। वैश्विक स्तर पर होने वाली खेती में 15 प्रतिशत हिस्से पर चावल की खेती होती है और यह विश्व में 15 लाख हेक्टेयर के करीब है।