facebookmetapixel
अगस्त में Equity MF में निवेश 22% घटकर ₹33,430 करोड़ पर आया, SIP इनफ्लो भी घटाटाटा शेयर को मिलेगा Gen-Z का बूस्ट! ब्रोकरेज की सलाह- खरीदें, 36% अपसाइड का ​टारगेटJ&K के किसानों को बड़ी राहत! अब रेलवे कश्मीर से सीधे दिल्ली पार्सल वैन से पहुंचाएगा सेब, ‍13 सितंबर से सेवा शुरूITR Filing 2025: क्या इनकम टैक्स रिटर्न में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड से हुई आय के बारे में बताना जरूरी है?मुश्किल में अदाणी! रिश्वत केस सुलझाने की कोशिश ठप, आखिर क्यों आई ऐसी नौबतUP: नए बिजली कनेक्शन के नियमों में बड़ा बदलाव, लगाए जाएंगे सिर्फ स्मार्ट प्रीपेड मीटरभारत पर लगने जा रहा था 100% टैरिफ? क्या हुई ट्रंप और EU के बीच बातचीतयूपी सरकार की नई पहल, कृषि‑पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ‘फार्म‑स्टे’ योजना₹10 से कम कीमत वाले ये 5 पैनी स्टॉक्स 48% तक दे सकते हैं रिटर्न, चार्ट पर दिखा ब्रेकआउट‘मां भारती की सेवा में समर्पित जीवन’… मोहन भागवत के 75वें जन्मदिन पर पीएम मोदी का बधाई संदेश

किसानों की ऋण माफी के लिए भूमि सीमा बढ़ाने की वकालत

Last Updated- December 05, 2022 | 4:33 PM IST

बंजर भूमि के किसानों तथा कृषि संकट से जूझ रहे महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र का मुद्दा उठाते हुए राहुल गांधी ने आज लोकसभा में किसानों की ऋण माफी योजना के तहत भूमि की दो हेक्टेयर की सीमा को बढ़ाए जाने की पुरजोर वकालत की।


वर्ष 2008-09 के आम बजट पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए राहुल गांधी ने कृषि ऋणों की माफी के संबंध में पिछले वर्ष 31 मार्च तक की एकल कट आफ तारीख को भी समाप्त किए जाने का सुझाव दिया।


 बजट को ‘ऐतिहासिक’ बताते हुए उन्होंने कहा कि कट आफ तारीख को विभिन्न क्षेत्रों में उपजों की उत्पादकता के आधार पर अलग अलग तय किया जाए क्योंकि इससे अधिक से अधिक किसान ऋण माफी योजना का लाभ उठा सकेंगे।


राहुल गांधी के भाषण के दौरान कांग्रेसी सदस्यों ने बार-बार मेजें थपथपाई। सदन में मौजूद कांग्रेस अध्यक्ष तथा राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी भी मेजें थपथपाकर उनका उत्साह बढ़ाते देखी गईं।


राहुल गांधी ने वित्त मंत्री से अपील की कि राज्यों को स्वयं सहायता समूहों के गठन को प्रोत्साहित करने के लिए बजटीय प्रावधान करें जो व्यापक रूप से गरीबों पर केन्द्रित हैं।


ऋ ण माफी योजना पर अपने सुझावों को विस्तार से रखते हुए राहुल गांधी ने कहा कि ऋण माफी के दायरे में दो हेक्टेयर भूमि वाले किसानों को लाने में भूमि की उत्पादकता पर ध्यान नहीं दिया गया है तथा कम सिंचित क्षेत्रों में गरीब किसानों को इससे बाहर छोड़ दिया गया है।


विदर्भ जैसे सूखे इलाकों का विशेष तौर पर जिक्र करते हुए कांग्रेसी नेता ने कहा कि हम भूमि की उत्पादकता के आधार पर भूमि की सीमा तय करने पर विचार कर सकते हैं।


उन्हाने कहा ऐसा इसलिए होना चाहिए क्योंकि देश के कुछ हिस्सों में फसल चक्र ऐसा है कि अधिकतर ऋण 31 मार्च 2007 की कट आफ तारीख के बाद लिए गए हैं।

First Published - March 13, 2008 | 7:22 PM IST

संबंधित पोस्ट