बंजर भूमि के किसानों तथा कृषि संकट से जूझ रहे महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र का मुद्दा उठाते हुए राहुल गांधी ने आज लोकसभा में किसानों की ऋण माफी योजना के तहत भूमि की दो हेक्टेयर की सीमा को बढ़ाए जाने की पुरजोर वकालत की।
वर्ष 2008-09 के आम बजट पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए राहुल गांधी ने कृषि ऋणों की माफी के संबंध में पिछले वर्ष 31 मार्च तक की एकल कट आफ तारीख को भी समाप्त किए जाने का सुझाव दिया।
बजट को ‘ऐतिहासिक’ बताते हुए उन्होंने कहा कि कट आफ तारीख को विभिन्न क्षेत्रों में उपजों की उत्पादकता के आधार पर अलग अलग तय किया जाए क्योंकि इससे अधिक से अधिक किसान ऋण माफी योजना का लाभ उठा सकेंगे।
राहुल गांधी के भाषण के दौरान कांग्रेसी सदस्यों ने बार-बार मेजें थपथपाई। सदन में मौजूद कांग्रेस अध्यक्ष तथा राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी भी मेजें थपथपाकर उनका उत्साह बढ़ाते देखी गईं।
राहुल गांधी ने वित्त मंत्री से अपील की कि राज्यों को स्वयं सहायता समूहों के गठन को प्रोत्साहित करने के लिए बजटीय प्रावधान करें जो व्यापक रूप से गरीबों पर केन्द्रित हैं।
ऋ ण माफी योजना पर अपने सुझावों को विस्तार से रखते हुए राहुल गांधी ने कहा कि ऋण माफी के दायरे में दो हेक्टेयर भूमि वाले किसानों को लाने में भूमि की उत्पादकता पर ध्यान नहीं दिया गया है तथा कम सिंचित क्षेत्रों में गरीब किसानों को इससे बाहर छोड़ दिया गया है।
विदर्भ जैसे सूखे इलाकों का विशेष तौर पर जिक्र करते हुए कांग्रेसी नेता ने कहा कि हम भूमि की उत्पादकता के आधार पर भूमि की सीमा तय करने पर विचार कर सकते हैं।
उन्हाने कहा ऐसा इसलिए होना चाहिए क्योंकि देश के कुछ हिस्सों में फसल चक्र ऐसा है कि अधिकतर ऋण 31 मार्च 2007 की कट आफ तारीख के बाद लिए गए हैं।