वित्त वर्ष 2023 के दौरान उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना के तहत 3,420 करोड़ रुपये के दावे किए गए थे और सरकार ने लाभार्थियों को 2,874 करोड़ रुपये भुगतान किए हैं। यह धनराशि 8 क्षेत्रों- मोबाइल विनिर्माण, आईटी हार्डवेयर, फार्मास्यूटिकल दवाओं, बल्क दवाओं, मेडिकल उपकरण, दूरसंचार, खाद्य प्रसंस्करण और ड्रोन को दी गई है।
इस योजना के तहत 5 साल के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं और पहले साल किया गया भुगतान आवंटित राशि का 1.4 प्रतिशत है। उद्योग विभाग में अतिरिक्त सचिव राजीव सिंह ठाकुर ने बुधवार को कहा कि प्रोत्साहन राशि का भुगतान अगले 2 से 3 साल में शीर्ष पर पहुंचेगा, जो अहम साल हैं।
ठाकुर ने कहा कि 574 करोड़ रुपये के लंबित दावों का भुगतान अभी किया जाना है और दावे की मंजूरी विभिन्न चरणों में है। विभिन्न विभागों और योजना की प्रकृति के मुताबिक कंपनियों के प्रोत्साहन दावे को मंजूरी मिलने में एक से दो महीने लग जाते हैं।
सरकार ने वित्त वर्ष21 में 3 पीएलआई योजनाएं लागू की हैं। साथ ही वित्त वर्ष 22 में उभरते क्षेत्रों जैसे ड्रोन, स्पेशलिटी स्टील, टेक्सटाइल, खाद्य प्रसंस्करण के साथ अन्य क्षेत्रों के लिए 11 योजनाएं लागू की गई हैं। इनके तहत अगले 5 साल लिए कुल 1.97 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। पहले चरण का प्रोत्साहन वित्त वर्ष 23 के लिए जारी किया गया है।
ठाकुर ने कहा, ‘इसके पीछे विनिर्माण को प्रोत्साहन देने और स्थानीय उद्योग को ज्यादा प्रतिस्पर्धी बनाने का विचार था। साथ ही अत्याधुनिक तकनीक लाने और तकनीक हस्तांतरण को सक्षम बनाने का भी विचार था, जो फार्मा क्षेत्र में हो रहा है। इससे मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिल रहा है। बड़ी कंपनियों ने भी भारत में अपना आधार स्थानांतरित करना शुरू कर दिया है।
यह योजना वित्त वर्ष 29 तक चलेगी। सभी योजनाएं समान रफ्तार से नहीं चल रही हैं। कुछ योजनाएं अन्य की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं।’ मोबइल विनिर्माण, फार्मास्यूटिकल्स दवाओं, बल्क दवाओं, मेडिकल उपकरण, खाद्य प्रसंस्करण, टेलीकॉम और व्हाइट गु्ड्स में पीएलआई योजना बेहतर काम कर रही है। वहीं टेक्सटाइल, स्टील, सोलर पीवी मॉड्यूल्स, बैटरी और ऑटोमोबाइल क्षेत्र में कई वजहों के कारण बेहतर काम नहीं कर रही है, जिनमें भूराजनीतिक दबाव भी शामिल है। उन्होंने कहा कि इसकी वजह से निवेश प्रभावित हो सकता है।
उन्होंने कहा, ‘बहरहाल इनमें से कोई भी क्षेत्र/योजना पटरी से नहीं उतरी है।’
कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की अधिकार प्राप्त समिति की निगरानी, इस योजना की समीक्षा के लिए नियमित रूप से नीति आयोग की बैठकों और विभिन्न उद्योगों पर संबंधित हिस्सेदारों से नियमित राय लेने का असर पड़ा है। उन्होंने कहा, ‘हम उन क्षेत्रों के मसलों का समाधान करने में लगे हैं, जिनका प्रदर्शन बेहतर नहीं हैं। हम नीति आयोग और ईजीओएस के साथ उनकी मदद करने की कवायद कर रहे हैं, जिससे कि उन्हें स्वीकार्य स्तर पर लाया जा ससके और प्रक्रियागत खामियों को दूर किया जा सके।’
अब तक 14 क्षेत्रों के 717 आवेदनों को मंजूरी मिली है, जिसमें 2.74 लाख करोड़ रुपये निवेश की संभावना है। दिसंबर 2022 तक 53,500 करोड़ रुपये वास्तविक निवेश हुआ है, जिसकी वजह से बढ़ा उत्पादन व बिक्री 5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है और 3 लाख से ज्यादा रोजगार सृजन हुआ है।
पीएलआई योजनाओं की घोषणा के साथ उत्पादन, रोजगार, आर्थिक वृद्धि व निर्यात की क्षमता बढ़ी है, जो नजर आ रही है। आधिकारिक बयान में कहा गया है कि विनिर्माण क्षेत्र में पीएलआई के कारण वित्त वर्ष 22 में इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में 76 प्रतिशत वृद्धि हुई है और यह 21.34 अरब डॉलर हो गया है, जो वित्त वर्ष 21 मं 1.09 अरब डॉलर था। 14 क्षेत्रों में पीएलआई के कारण प्रमुख वैश्विक कारोबारी आकर्षित हुए हैं जबकि प्रमुख घरेलू कंपनियों और एमएसएमई ने इन योजनाओं में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया है। ठाकुर ने यह भी कहा कि और पीएलआई योजनाएं लाने के बारे में कोई फैसला नहीं किया गया है।