बिजली पारेषण ढांचा तैयार होने और परियोजनाओं की शुरुआत में तालमेल के अभाव से 60 गीगावॉट क्षमता तक की नवीकरणीय (आरई) परियोजनाएं लटक गई हैं। पिछले कुछ वर्षों के दौरान 40 बिजली पारेषण योजनाएं आवंटित की गई थीं, जो चालू और अगले वित्त वर्षों में शुरू होने वाली हैं। मगर इन परियोजनाओं के लिए अब तक केंद्रीय पारेषण इकाई (सीटीयू) से बिजली कनेक्शन मिलने की मंजूरी नहीं मिल पाई है।
दूसरी तरफ, आरई परियोजनाओं को जोड़ने वाली ज्यादातर पारेषण परियोजनाओं की पूरी होने की समयसीमा बढ़ाने की मांग की गई है।
इसका कारण यह है कि फिलहाल यह कहना मुश्किल है कि ये आरई परियोजनाएं कब तक पूरी हो पाएंगी। इस संबंध में विद्युत मंत्रालय और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के प्रवक्ता को भेजे गए सवालों का समाचार लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया था।
हाल में इस अखबार ने खबर छापी थी कि लगभग 40 गीगावॉट क्षमता वाली नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के बिजली के लिए खरीदार नहीं मिल पा रहे हैं। इन परियोजनाओं के लिए चार नवीकरणीय ऊर्जा क्रियान्वयन एजेंसियों ने निविदाएं जारी की थीं। ये सभी एजेंसियां नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा अधिकृत की गई थीं।
इन परियोजनाओं का आवंटन आरई निविदा जारी करने के लिए अधिकृत इकाई एसईसीआई, सरकार नियंत्रित एनटीपीसी, एनएचपीसी और एसजीवीएन ने किया था। मंत्रालय में दी गई एक प्रस्तुति के अनुसार ये सभी परियोजनाएं विचाराधीन हैं क्योंकि कोई भी राज्य बिजली खरीद समझौता (पीपीए) करने के लिए अब तक आगे नहीं आया है।