नवंबर 2008 के आंकड़ों पर गौर किया जाय तो केंद्र के प्रत्यक्ष कर संग्रह में 40 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी है।
गौरतलब है कि पिछले वर्ष की समान अवधि में 17,189 करोड़ रुपये का संग्रह हुआ था, जबकि इस वर्ष 10,346 करोड़ रुपये का संग्रह हुआ है। हालांकि वित्त मंत्रालय के अधिकारी इस गिरावट के लिए वैश्विक मंदी को जिम्मेदार नहीं मान रहे हैं। उनके मुताबिक इस वर्ष कार्पोरेट जगत द्वारा कर भरने की तिथी में किए गये बदलाव के चलते प्रत्यक्ष कर में गिरावट आई है।
एक अधिकारी ने बताया, ‘ इस बार नवंबर महीने में कम पैमाने पर कर संग्रह हुआ क्योंकि पिछले वर्ष कर भरने की अंतिम मियाद 31 अक्टूबर को खत्म हुई थी, जबकि इस वर्ष यह मियाद सितंबर महीने में ही खत्म हो गई थी।’
वर्ष 2008 के शुरुआती 6 महीनों के दौरान कर संग्रह पूरी रफ्तार के साथ जारी था। लेकिन अक्टूबर महीने में यह रफ्तार वार्षिक दर वार्षिक आधार पर 10.66 फीसदी की दर से हुआ। उस दौरान भी कर संग्रह की दर में गिरावट आने के चलते अंतिम मियाद की तिथी को आगे बढ़ाया गया था।
मौजूदा राजकोषीय वर्ष के दौरान केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने प्रत्यक्ष कर संग्रह की सीमा को करीबन 3.65 लाख करोड़ से बढ़ाकर 3.95 लाख करोड़ कर दिया है।
