वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह नवंबर में 1.31 लाख करोड़ रुपये रहा, जो अब तक का दूसरा सबसे अधिक मासिक संग्रह है। इससे विशेषज्ञों को भरोसा मिला है कि 2021-22 में जीएसटी राजस्व प्राप्तियां बजट अनुमान से 50,000 करोड़ रुपये अधिक रहेंगी। अब तक का सबसे अधिक संग्रह इसी वित्त वर्ष में अप्रैल में हुआ था, जब इस मद में करीब 1.40 लाख करोड़ रुपये आए थे।
अक्टूबर में बने ई-वे बिल 7.35 करोड़ के रिकॉर्ड स्तर पर रहे थे, लेकिन नवंबर में संग्रह अप्रैल की तुलना में कम रहा। गौरतलब है कि पिछले महीने में लेनदेन से अगले महीने में जीएसटी संग्रह होता है। मार्च में 7.12 करोड़ ई-वे बिल बने थे।
वित्त मंत्रालय ने इसकी वजह बताते हुए कहा कि अप्रैल के आंकड़े साल के अंत के राजस्व से संबंधित होते हैं, इसलिए अप्रैल के आकंड़ों में उछाल आती है। नवंबर में जीएसटी राजस्व पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले 25 फीसदी और 2019-20 के कोविड से पहले के नवंबर महीने की तुलना में 27 फीसदी अधिक है।
यह संग्रह इस साल अक्टूबर में मिली 1.30 लाख करोड़ रुपये की धनराशि से भी 1.1 फीसदी अधिक है। यह बढ़ोतरी उल्लेखनीय इसलिए है क्योंकि सितंबर में तिमाही रिटर्न भरे जाते हैं, जिससे अक्टूबर में संग्रह बढ़ ही जाता है। मंत्रालय ने कहा, ‘नवंबर का संग्रह पिछले महीने के संग्रह से भी अधिक रहा, जबकि पिछले महीने के संग्रह में तिमाही रिटर्न का असर भी शामिल है।’
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि जीएसटी संग्रह लगातार दूसरे महीने 1.31 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है। यह आर्थिक सुधार के रुझान के अनुरूप है।
कल जारी आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के दौरान अर्थव्यवस्था 8.4 फीसदी बढ़ी। यह 2019-20 की कोविड से पहले की अवधि की इसी अवधि की वृद्धि से भी 0.3 फीसदी अधिक रही।
हालांकि 21 नवंबर तक ई-वे बिल बहुत कम महज 3.94 करोड़ बने, जिसका दिसंबर के संग्रह पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
