भारत में पिछले कुछ दिनों के दौरान प्रमुख आर्थिक केंद्रों में लगाए गए छिटपुट लॉकडाउन यानी आवाजाही पर प्रतिबंधों से देश को हर सप्ताह 1.25 अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ेगा। बार्कलेज की 12 अप्रैल की ताजा रिपोर्ट में यह बात कही गई है। बार्कलेज का कहना है कि नुकसान में बढ़ोतरी गतिविधियों पर प्रतिबंध में कुछ सख्ती और कोविड की दूसरी लहर के भौगोलिक प्रसार को दर्शाती है। बार्कलेज में भारत के मुख्य अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया ने लिखा, ‘कोविड के प्रतिबंधों को मद्देनजर रखते हुए हमारा अनुमान है कि अगर मौजूदा प्रतिबंध मई के आखिर तक बने रहे तो आर्थिक गतिविधियों का नुकसान करीब 10.5 अरब डॉलर या सालाना नॉमिनल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब 0.34 फीसदी रहेगा। हालांकि 2021-22 की पहली तिमाही में नॉमिनल जीडीपी पर असर ज्यादा रहने के आसार हैं। वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही में नॉमिनल जीडीपी करीब 1.4 फीसदी कम रहेगा।’ बाजोरिया ने यह रिपोर्ट श्रेया सोढ़ानी के साथ मिलकर लिखी है।
बार्कलेज ने मार्च, 2021 में अनुमान जताया था कि दो महीने तक आवाजाही पर प्रतिबंधों से अर्थव्यवस्था को 5.2 अरब डॉलर के उत्पादन या नॉमिनल जीडीपी में 0.17 फीसदी नुकसान होगा। इसमें कहा गया कि उन्होंने कम से कम अभी के लिए वित्त वर्ष 2022 का वास्तविक जीडीपी वृद्धि का अनुमान सालाना आधार पर 11 फीसदी रखा है। इस अनुमान में आगाह किया गया कि अगर प्रतिबंधों को आगे कड़ा किया गया या देश के सभी आर्थिक केंद्रों में लागू किया गया तो वास्तविक जीडीपी कम रह सकती है।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक देश में पिछले 24 घंटों के दौरान 1,68,912 मामले आए हैं। इससे भारत कुल 1,35,27,717 मामलों के साथ दूसरे सबसे अधिक प्रभावित और सक्रिय मामलों के आधार पर चौथे सबसे अधिक प्रभावित देश के रूप में उभरा है।
इस पृष्ठभूमि में महाराष्ट्र और दिल्ली समेत कुछ राज्य सरकारों ने आवाजाही पर प्रतिबंधों की घोषणा की है। बार्कलेज का मानना है कि नए सक्रिय मामलों की संख्या मई में स्थिर होने के आसार हैं क्योंकि ठीक होने वाले लोगों की संख्या नए मामलों के आसपास पहुंच रही है। इसके अलावा टीकाकरण में भी तेजी आएगी। उन्होंने कहा कि भारत में टीकाकरण इसी रफ्तार से जारी रहने को लेकर जोखिम हैं क्योंकि आपूर्ति में कमी और टीकाकरण में अवरोधों की खबरें आ रही हैं।
बार्कलेज का कहना है कि देश की करीब 60 फीसदी अर्थव्यवस्था पर आवाजाही के प्रतिबंधों का असर पड़ रहा है। महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु और राजस्थान जैसे प्रमुख आर्थिक केंद्रों में कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं और वहां आवाजाही कम हो रही है।
हाल में केयर रेटिंग्स ने अनुमान जताया था कि महाराष्ट्र में कोविड के मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए आवाजाही पर लगाए गए प्रतिबंधों से वित्त वर्ष 2022 में पूरी घरेलू अर्थव्यवस्था के सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) की वृद्धि में 0.32 फीसदी गिरावट आएगी। इसने कहा, ‘नए दिशानिर्देशों को मद्देनजर रखते हुए हमारा अनुमान है कि एक महीने के लॉकडाउन से 40,000 करोड़ रुपये के जीवीए पर असर पड़ेगा। अगर लॉकडाउन को आगे बढ़ाया गया तो राज्य के उत्पादन में और अधिक नुकसान होगा।’
