चालू वित्त वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.2 फीसदी रही जो इससे पिछली तिमाही में 5.6 फीसदी (संशोधित) रही थी। हालांकि पिछले आंकड़ों में संशोधन ने अर्थशास्त्रियों को उलझन में डाल दिया है, जिससे आंकड़ों की शुचिता को लेकर चिंता बढ़ गई हैं।
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा आज जारी दूसरे अग्रिम अनुमान में चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 6.5 फीसदी रहने की बात कही गई है। जनवरी के पहले अग्रिम अनुमान में इसके 6.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था।
चालू वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाही में जीडीपी की औसत वृद्धि दर 6.1 फीसदी रही और पूरे साल के लिए 6.5 फीसदी वृद्धि दर अनुमान को हासिल करने के लिए चौथी तिमाही में वृद्धि दर 7.6 फीसदी रहनी चाहिए। मगर अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इतनी वृद्धि दर हासिल करना चुनौतीपूर्ण होगा।
वित्त वर्ष 2025 की वृद्धि दर अनुमान के अलावा सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2023 के वृद्धि दर अनुमान को 7 फीसदी से संशोधित कर 7.6 फीसदी वित्त वर्ष 2024 के 8.2 फीसदी वृद्धि दर को बढ़ाकर 9.2 फीसदी कर दिया है।
वित्त वर्ष 2025 के लिए नॉमिनल जीडीपी 331 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है, जो 9.9 फीसदी वृद्धि को दर्शाता है। हालांकि पहले अग्रिम अनुमान में इसमें 9.7 फीसदी वृद्धि की बात कही गई थी। इस अनुमान से सरकार को वित्त वर्ष 2025 के लिए संशोधित राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 4.8 फीसदी तक सीमित रखने में आसानी हो सकती है।
एचडीएफसी बैंक में प्रधान अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता ने कहा, ‘आगे के संशोधनों में पूरे वर्ष के अनुमान में कमी की जा सकती है। हमें उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च 2025) में जीडीपी वृद्धि 6.8 फीसदी रहेगी। वित्त वर्ष 25 की तीसरी तिमाही में आर्थिक गतिविधि में थोड़ी वृद्धि हुई है मगर यह अभी भी मामूली बढ़ा है। ऐसे में उम्मीद है कि भारतीय रिजर्व बैंक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए अप्रैल में रीपो दर में 25 आधार अंक की और कटौती कर सकता है।’ दिसंबर तिमाही में कृषि क्षेत्र में 5.6 फीसदी की शानदार वृद्धि देखी गई। विनिर्माण क्षेत्र में सुस्ती बनी हुई है और इस क्षेत्र में केवल 3.5 फीसदी की वृद्धि हुई। निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर घटकर 7 फीसदी रह गई, जो सितंबर तिमाही में 8.7 फीसदी थी। हालांकि सेवा क्षेत्र का प्रदर्शन बेहतर रहा और दिसंबर तिमाही में इसमें 7.4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।
इंडिया रेटिंग्स के अर्थशास्त्री पारस जसराय ने कहा कि निम्न आय वर्ग के बीच खपत की मांग का दायरा व्यापक हो रहा है जो कृषि के लिए ग्रामीण मजदूरी में वास्तविक वृद्धि से स्पष्ट है। यह वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में सकारात्मक बनी हुई है। उन्होंने कहा, ‘एफएमसीजी कंपनियों के तिमाही नतीजों से भी ग्रामीण मांग में लगातार सुधार होने का संकेत मिला है जो उपभोग और जीडीपी वृद्धि दोनों के लिए अनुकूल है।’
केंद्र का राजकोषीय घाटा जनवरी 2025 के अंत में वार्षिक लक्ष्य के 74.5 फीसदी तक पहुंच गया। शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। महालेखा नियंत्रक (सीजीए) के आंकड़ों के मुताबिक राजकोषीय घाटा अप्रैल-जनवरी 2024-25 की अवधि में 11,69,542 करोड़ रुपये रहा। एक साल पहले की समान अवधि में राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2023-24 के संशोधित अनुमान का 63.6 फीसदी था। चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा 15.69 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। राजकोषीय घाटा सरकार के कुल व्यय और राजस्व के बीच का अंतर है। यह सरकार की कुल उधारी को बताता है।