देश में फलते-फूलते स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में अनेक कंपनियों ने 1 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य का जादुई आंकड़ा पार कर यूनिकॉर्न बनने का तमगा हासिल किया है। लेकिन यह सब रातों-रात नहीं मिल गया। शुरुआत में इस उपलब्धि को पाने के लिए उन्हें लंबा संघर्ष करना पड़ा। वर्ष 2019 तक जो कंपनियां यूनिकॉर्न बनीं, उन्हें यहां तक पहुंचने में औसतन 10 वर्ष लग गए लेकिन केवल चार साल बाद 2023 में यह आंकड़ा पार करने में औसत अवधि पांच वर्ष ही रही।
शोध एजेंसी ट्रैक्सन के आंकड़ों के अनुसार ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि वेंचर कैपिटल (वीसी) और प्राइवेट इक्विटी (पीई) ने लाभप्रदता की ज्यादा चिंता किए बिना अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए इन कंपनियों पर जमकर नकदी का निवेश किया। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हो जाती। पिछले कुछ वर्षों से जैसे-जैसे इन वीसी और पीई ने निवेश से हाथ खींचना शुरू किया तो स्टार्टअप का यूनिकॉर्न बनने का इंतजार भी लंबा होता गया और 2024 में यूनिकॉर्न का दर्जा पाने का औसत समय बढ़कर पुन: साढ़े नौ वर्ष हो गया और यह अवधि 2019 के स्तर पर पहुंच गई।
स्टेनफर्ड ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस के एक अध्ययन के अनुसार अमेरिका में स्थिति इसके बिल्कुल उलट सामने आई जहां 2014 के बाद किसी स्टार्टअप को यूनिकॉर्न बनने में 3.4 वर्ष का समय लगा। इससे पहले वहां छोटी कंपनियों को इस उपलब्धि तक पहुंचने के लिए 6.6 वर्ष लग जाते थे। वैसे स्टार्टअप की दुनिया एक शोध का विषय रहा है। एक तरफ जहां कई स्टार्टअप ने अपने उत्पाद बेचने से पहले ही या शुरुआत करने के बहुत जल्द बाद यूनिकॉर्न का दर्जा पा लिया। इसका सबसे अच्छा उदाहरण भवीश अग्रवाल हैं, जिनके तीन में से दो स्टार्टअप आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) कंपनी ओला कृत्रिम और ओला इलेक्ट्रिक मार्केट में आने के क्रमश: एक और दो वर्ष के भीतर ही यूनिकॉर्न बन गए। इसका श्रेय सॉफ्टबैंक द्वारा इनमें किए गए निवेश को जाता है।
भवीश अकेले स्टार्टअप दिग्गज नहीं हैं, जिनका सफर इतना सुनहरा रहा। वर्ष 2019 से 2024 के बीच ऑनलाइन ऋण कारोबार से जुड़े यूबी, जेईई और नीट जैसी प्रवेश परीक्षाओं की ऑनलाइन तैयारी कराने वाले फिजिक्सवाला, ई-कॉमर्स ब्रांड का अधिग्रहण करने वाले ऑनलाइन प्लेटफार्म मेन्सा ब्रांड और ग्लोबल बीज तथा मोबाइल लॉकस्क्रीन कंटेंट देने वाली ग्लांस कुछ अन्य ऐसे स्टार्टअप रहे जिन्होंने अपनी शुरुआत के एक या दो वर्षों के भीतर ही यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल कर लिया।
स्टार्टअप के विकास के लिए 2021 का साल सबसे बेहतरीन रहा जब कॉइनडीसीएक्स, क्रेड, जेटविर्क, भारतपे और मोबाइल प्रीमियर लीग जैसे बड़े ब्रांड तीन वर्ष के अंदर ही यूनिकॉर्न बन गए। लेकिन सभी स्टार्टअप को एक जैसी तरक्की का रास्ता नहीं मिला। कुछ ऐसे भी रहे, जिन्होंने यूनिकॉर्न जैसा मील का पत्थर छूने के लिए लंबा सफर तय करना पड़ा। संघर्ष से जूझते हुए आगे बढ़ने में उन्हें कारोबारी मॉडल तक बदलना पड़ा।
बिजनेस सॉफ्टवेयर सूइट जोहो की शुरुआत 1996 में एक नेटवर्क प्रबंधन सॉफ्टवेयर कंपनी के रूप में हुई थी लेकिन 2009 में इसने अपना कारोबारी मॉडल बदला और केवल ऑनलाइन सेवाओं पर केंद्रित हो गई। जोहो 2019 में यूनिकॉर्न बनी, जिसे यह उपलब्धि पाने में 23 वर्षों का लंबा समय लगा। इसी तरह कारोबारियों को भुगतान सेवाएं देने वाली कंपनी पाइन लैब्स, मोल्बियो डायग्नॉस्टिक्स और एआई से लैस डेटा एनालिटिक्स कंपनी फ्रैक्टल एनालिटिक्स आदि अपनी शुरुआत से 22 के बाद 1 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य वाली कंपनी बनीं। यही नहीं, लोकप्रिय गेमिंग ऐप गेम्स24×7 को भी यूनिकॉर्न बनने में इस विशेष क्लब में शामिल होने में 16 वर्षों का समय लग गया।