बीएस बातचीत
भारत में महत्त्वाकांक्षी डिजिटल पहचान प्रणाली ‘आधार’ की रूपरेखा तैयार करने वाले नंदन नीलेकणी तकनीक के सकारात्मक इस्तेमाल पर एक और किताब लिख रहे हैं। इन्फोसिस के सह-संस्थापक और चेयरमैन नीलेकणी से तमाम पहलुओं पर विभु रंजन मिश्रा ने बातचीत की। प्रस्तुत है प्रमुख अंश:
आपकी तीसरी किताब कौन सी है और यह कब बाजार में आएगी?
मौजूदा महामारी ने एक बात तो साफ कर दी कि तकनीक के बिना अब हमारा गुजारा नहीं हो सकता है। चाहे आप घर से काम कर रहे हैं या ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं ये सभी काम डिजिटल तकनीक से ही हो पा रहे हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो हमारे जीवन में तकनीक की अहमियत पहले से थी लेकिन अब इसकी उपयोगिता कई गुना बढ़ गई है। हालांकि तकनीक का इस्तेमाल बढ़ा है तो कुछ नकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं। सोशल मीडिया, फर्जी खबरें और सामाजिक समरसता बिगाडऩे में इन तकनीक का बेजा इस्तेमाल हो रहा है। मेरी इस किताब में इसी बात पर जोर दिया गया है कि किस तरह हम तकनीक का अधिक से अधिक बेहतर इस्तेमाल कर सकते हैं।
स्वास्थ्य क्षेत्र में तकनीक पर कभी जोर नहीं दिया गया। क्या आपको लगता है कि इसमें बदलाव आएगा?
मुझे लगता कि कोविड महामारी स्वास्थ्य क्षेत्र में तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा देने में बड़ा बदलाव लाएगी। इसकी पीछे कई कारण हैं। पहली बात तो यह कि लोगों को फोन या वीडियो कॉल पर डॉक्टरी सलाह लेने में कोई दिक्कत नहीं आ रही है और पिछले कुछ महीनों में इसमें जरबदस्त तेजी आई है। ऑनलाइन माध्यम से दवाएं मंगाने का भी चलन बढ़ रहा है। तीसरी अहम बात यह है कि प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य अभियान की घोषणा की है। इसके तहत डिजिटल स्वास्थ्य पहचान पत्र के साथ लोगों की स्वास्थ्य की जानकारियां इलेक्ट्रॉनिक रूप में दर्ज की जाएगी। मेरा मानना है कि इससे कोविड-19 के टीकाकरण में काफी तेजी आएगी और स्वास्थ्य क्षेत्र में डिजिटल तकनीक के इस्तेमाल को भी बढ़ावा मिलेगा।
आपको ऐसा क्यों लगता है?
अमूमन ज्यादातर टीकाकरण अभियान बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं के लिए देखने में आए हैं। पहली बार ऐसा होगा जब देश में सभी उम्र के करीब 1 अरब से भी अधिक लोगोंं के लिए टीकाकरण की शुरुआत करनी होगी। इनमें कई लोग ऐसे भी होंगे जिन्हें पहले से ही कोई न कोई बीमारी रही होगी। दूसरी अहम बात यह है कि हमें कोविड-19 से बचाव का टीकाकरण अभियान तेजी से पूरा करना होगा क्योंकि इससे हमारी अर्थव्यवस्था की रफ्तार जुड़ी है। लिहाजा से हमें आधार की तर्ज ही काम करना होगा बस अंतर यह होगा कि इसका मसकद टीकाकरण होगा। हम पिछले साढ़े पांच वर्षों में एक अरब लोगों को आधार प्रणाली से जोड़ चके हैं और मुझे लगता है कि टीकाकरण के लिए यह पूरी कवायद दो वर्षों में ही पूरी हो सकती है।
आप कह रहे हैं कि देश की पूरी आबादी का टीकाकरण दो वर्षों में पूरा किया जा सकता है?
क्षमता में इजाफा कर हम ऐसा कर सकते हैं। मेरा मानना है कि अगर आपके पास 1 लाख टीकाकरण केंद्र हैं और प्रत्येक केंद्र पर रोजाना 50 लोगों को टीके लगाए जाते हैं तो इससे 50 लाख लोगों का टीकाकरण एक दिन हो जाएगा। लेकिन यह क्षमता बढ़ाई जा सकती है। टीकाकरण अभियान में फार्मेसी और अस्पतालों को भी जोड़ा सकता है। हां, टीकों की आपूर्ति जरूर एक समस्या होगी। मुझे नहीं लगता कि 2021 के अंत तक हम रोजाना 50 लाख से 1 करोड़ लोगों को टीका लगा पाएंगे।
क्या पूरे अभियान का प्रबंधन तकनीक आधारित होगा?
बिल्कल। इसे एक अभियान के तौर पर आधार की तर्ज पर पूरा करना होगा। टीकाकरण से लेकर इसका प्रमाणपत्र पाने तक सभी चीजें वास्तविक समय में पूरी करनी होंगी। टीकाकरण के लिए जब तक टीके की आपूर्ति जारी है और इन्हें केंद्र तक ले जाने के लिए पर्याप्त व्यवस्था है तब तक टीकाकरण केंद्रों की संख्या आराम से बढ़ाई जा सकती है। इसकी वजह यह है कि इस पूरे काम में आपको टीका और स्मार्टफोन की जरूरत होगी।