बीएस बातचीत
प्रमुख विमानन कंपनी इंडिगो के सीईओ रणजय दत्ता को इस बात से काफी राहत मिली है कि विमानन कंपनी लगभग पूरी क्षमता पर उड़ान भरने लगी है। मार्च 2020 में सरकार ने जब देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी तो इंडिगो का 250 से अधिक विमानों का बेड़ा दो महीने के लिए ठप हो गया था। दत्ता ने अरिंदम मजूमदार से बातचीत में इंडिगो की विस्तार योजना, रकम जुटाने की रणनीति, नई कंपनियों से प्रतिस्पर्धा आदि विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की। पेश हैं मुख्य अंश:
कोविड संकट के बाद इंडिगो कहीं अधिक दमदार बनकर उभरी है। आगे का परिदृश्य कैसा है?
हर कोई कहता है कि संकट के समय को बर्बाद नहीं करते। जब हमने कोविड के दौर में प्रवेश किया था और संपूर्ण लॉकडाउन लग गया था तो भी हम काम कर रहे थे। उस दौरान विमान उड़ान नहीं भर रहे थे और हम सोच रहे थे कि क्या करना चाहिए। हमने अपने प्रदर्शन के हरेक मानक पर गौर किया- ग्राहकों की शिकायत क्या है, कर्मचारियों को कैसा लगता है, निवेशक कैसा महसूस करते हैं आदि। हमने 15 फीसदी छंटनी की। हमने व्यापक तौर पर वेतन में कटौती भी की। लोगों को लगेगा कि इससे मनोबल घटेगा लेकिन वास्तव में वह कहीं ऊपर था।
क्या आपको नहीं लगता है कि अब विमानों की तैनाती तेज करनी चाहिए?
नहीं, मुझे लगता है कि हम एक सही राह पर अग्रसर हैं। विकास और जल्दबाजी के बीच एक पतली रेखा होती है। इसलिए मैं समझता हूं कि फिलहाल इससे अधिक तेजी से विकास करने का कोई मतलब नहीं है। हम जहां हैं सही हैं। हमारी बाजार हिस्सेदारी बढ़ी है क्योंकि हमने नए विमानों को शामिल किया है, नए शहरों को जोड़ा है। हम ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इससे ग्राहकों को मदद मिलती है। परिणामस्वरूप हमारी बाजार हिस्सेदारी बढ़ सकती है लेकिन वह हमारा उद्देश्य कभी नहीं रहा है।
बाजार में आपके क्यूआईपी को लेकर चर्चा गरम है। क्या यह रकम जुटाने का अच्छा अवसर है?
सबसे पहले मैं इतना बताना चाहूंगा कि हमारे पास रकम की कोई उपयोगिता नहीं थी। ऐसा नहीं है कि हमने पूंजीगत खर्च की कोई योजना बनाई थी जिसके लिए हमें नकदी की दरकार है। दूसरा, चाहे हम पसंद करें या न करें, इससे स्थिति कमजोर होगी। तो हम बेवजह खर्च करके शेयरधारकों के लिए स्थिति को कमजोर क्यों करें। तीसरा, आपको नकदी की जरूरत कब महसूस होगी। हमारा मानना है कि यदि तीसरी लहर आएगी तो हमें नकदी की जरूरत होगी। हम जानते हैं कि शेयरधारकों की मंजूरी के लिहाज से क्यूआईपी में काफी समय लगता है। यदि हमें इसकी जरूरत होगी तो हम इस विचार करेंगे। फिलहाल स्थिति सुधर रही है और इसलिए मैं समझता हूं कि क्यूआईपी की जरूरत नहीं है।
क्या सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य सीमा का प्रभाव दिखा?
इससे निश्चित तौर पर मदद मिली। लेकिन शुरू में मूल्य निर्धारण से हमें नुकसान भी हुआ क्योंकि ऐसा 30 दिनों के लिए किया गया था और अधिक किराये पर बुकिंग किसी ने नहीं कराया। हम इसे 15 दिनों के लिए करना चाहते थे और सरकार ने वैसा किया। मैं बताना चाहूंगा कि इस पूरी प्रक्रिया के दौरान सरकार का रुख काफी जिम्मेदाराना रहा। हालांकि अधिक समय तक सरकार को मूल्य निर्धारित नहीं करना चाहिए।
आगे सुदृढीकरण की संभावनाएं कैसी दिख रही हैं?
टाटा समूह एयर इंडिया को खरीदने जा रही है और इसके साथ ही हम काफी सुदृढीकरण पहले ही देख चुके हैं।
क्या गोएयर और स्पाइसजेट के बीच ऐसा होगा?
मुझे नहीं मालूम। फुल सर्विस श्रेणी के मुकाबले सस्ती विमानन सेवा श्रेणी में कहीं अधिक भीड़भाड़ है और इसलिए वहां सुदृढीकरण की गुंजाइश हो सकती है। लेकिन हम इसमें भाग नहीं लेंगे बल्कि हम केवल उस पर नजर रखेंगे।