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जानें, कैसे सस्ती हो रहीं हैं दवाएं

कुछेक महीने के भीतर ही दाम मूल ब्रांड से एक-तिहाई या कुछ मामलों में 20 प्रतिशत तक गिर जाते हैं।

Last Updated- March 23, 2025 | 10:17 PM IST
Pharma Stock

पिछले चार से पांच वर्षों के दौरान प्रमुख एंटी-डायबिटिक और हृदय रोग संबंधी दवाओं का पेटेंट खत्म होने के बाद सैकड़ों जेनेरिक ब्रांड बाजार में आ गए हैं। इन जेनेरिक ब्रांडों ने न केवल दवाओं को किफायती बनाया है बल्कि उन तक रोगियों की पहुंच भी बढ़ाई है। उन्होंने अपनी बिक्री में भी इजाफा किया है।

बाजार शोध फर्म फार्मारैक के विश्लेषण से पता चला कि दिसंबर 2019 में नोवार्टिस का पेटेंट खत्म होने के बाद अब बाजार में 226 विल्डेग्लिप्टिन (एंटी-डायबिटिक) ब्रांड उपलब्ध हैं। इसी तरह अक्टूबर 2020 में पेटेंट की समाप्ति के बाद से घरेलू बाजार में डैपाग्लिफ्लोजिन के 200 ब्रांड पहले ही आ चुके हैं। डैपाग्लिफ्लोजिन की खोज ब्रिस्टल मायर्स स्क्विब ने की थी और इसे एस्ट्राजेनेका के साथ साझेदारी में विकसित किया गया था।

फार्मारैक में उपाध्यक्ष (वाणिज्यिक) शीतल सापले ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि पेटेंट समाप्त हो जाने पर कई जेनेरिक बाजार में उतारे जाते हैं और कुछेक महीने के भीतर ही दाम मूल ब्रांड से एक-तिहाई या कुछ मामलों में 20 प्रतिशत तक गिर जाते हैं। साथ ही बिक्री में भी उछाल आती है। पेटेंट समाप्ति के बाद तीसरे साल तक डैपाग्लिफ्लोजिन की बिक्री 10 गुना बढ़ गई थी। ऐसा इसलिए कि जब ये दवाएं अधिक सस्ती हो जाती हैं तो और अधिक डॉक्टर मरीजों को इन दवाओं की सिफारिश करने लगते हैं, जिससे उनकी पहुंच बढ़ जाती है।

मैनकाइंड फार्मा के प्रबंध निदेशक राजीव जुनेजा ने कहा कि जेनेरिक पेश किए जाने के बाद, यहां तक कि सामान्य चिकित्सक भी एम्पाग्लिफ्लोजिन (जिसका पेटेंट इस मार्च में पूरा हो गया) लिखना शुरू कर देंगे, जिससे बिक्री और मरीजों की पहुंच और बढ़ जाएगी। जुनेजा को उम्मीद है कि पेटेंट समाप्ति के बाद बिक्री में वृद्धि 50 से 100 प्रतिशत के दायरे में होगी जबकि दामों में गिरावट की वजह से इस साल कीमतें भी घटेंगी। उन्होंने कहा, ‘दो से तीन साल में दवा का मूल्य बाजार के मौजूदा आकार को पार कर जाएगा।’

भारत में 10 करोड़ से ज्यादा मधुमेह रोगी हैं और मधुमेह की दवाओं की मांग बढ़ रही है। भारत में मधुमेह रोधी दवा का 20,611 करोड़ रुपये का बाजार करीब 9 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। हृदय रोग की दवा वाली श्रेणी का मूल्य 29,855 करोड़ रुपये है और यह 10.8 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। हृदय रोग और मधुमेह की दवा वाली श्रेणियों की घरेलू फार्मा बाजार में करीब 20 प्रतिशत संयुक्त हिस्सेदारी है।

हालांकि सैकड़ों ब्रांड शुरू किए जाते हैं, लेकिन सभी को बाजार हिस्सेदारी के लिए होड़ करनी पड़ती है तथा कई ब्रांड टिक नहीं पाते। सापले ने कहा, ‘अगर गुणवत्ता आश्वासन और गुणवत्ता नियंत्रण का सख्ती से पालन किया जाता है तो ये ब्रांड काम करते हैं। वरना छोटे ब्रांड गायब हो जाते हैं क्योंकि डॉक्टर ब्रांडेड जेनेरिक दवा चुनते समय सावधानी बरतते हैं।’ अलबत्ता इससे होने वाले कीमत युद्ध से मरीजों को फायदा मिलता है।

मैनकाइंड फार्मा, ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स, एल्केम, कोरोना रेमेडीज और अन्य कंपनियों द्वारा इस सप्ताह पेश की गई दवा के कारण एम्पैग्लिफ्लोजिन के दाम 60 रुपये से 90 प्रतिशत घटकर 5.5 रुपये प्रति टैबलेट रह गए हैं।

First Published - March 23, 2025 | 10:17 PM IST

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