बीएस बातचीत
बंधन बैंक की होल्डिंग कंपनी बंधन फाइनैंशियल होल्डिंग्स ने भारतीय रिजर्व बैंक के लाइसेंसिंग दिशानिर्देशों का पूरी तरह पालन करने के लिए अपनी 20.95 फीसदी हिस्सेदारी बेच दी। बंधन बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी चंद्र शेखर घोष ने ईशिता आयान दत्त से बातचीत में कहा कि बंधन फाइनैंशियल होल्डिंग्स का बोर्ड बातचीत करेगा लेकिन बीमा एवं म्युचुअल फंड हमारे विकल्पों में शामिल थे। संपादित अंश :
बंधन फाइनैंशियल होल्डिंग्स ने द्वितीयक बाजार बिक्री के माध्यम से अपनी 20.95 फीसदी की अतिरिक्त हिस्सेदारी बेच दी। इसके खरीदारों में कौन शामिल हैं?
हालांकि कई खरीदार थे लेकिन उनमें मुख्यत: जीआईसी पीटीई, ब्लैकरॉक, टेमासेक, एसबीआई म्यूचुअल फंड शामिल रहे।
बंधन फाइनैंशियल होल्डिंग्स ने लगभग 10,500 करोड़ रुपये जुटाए हैं। इसका इस्तेमाल किस तरह किया जाएगा?
यह पैसा होल्डिंग कंपनी, बंधन फाइनैंशियल होल्डिंग्स लिमिटेड के पास जाएगा। नॉन-ऑपरेटिव फाइनैंशियल होल्डिंग कंपनी के सामने बीमा एवं म्युचुअल फंड का विकल्प मौजूद है, लेकिन अंतिम निर्णय बोर्ड करेगा।
हिस्सेदारी बिक्री के बाद प्रवर्तक की हिस्सेदारी 40 फीसदी से कम हो गई है। इसे 20 फीसदी तक लाने की समय सीमा क्या है?
हिस्सेदारी में कमी के पहले दौर को तीन वर्षों में किया जाना जरूरी था। अब 20 फीसदी तक आने के लिए हमारे पास तीन साल का समय है।
बंधन के विस्तार पर अनुपालन के मसलों का क्या असर रहेगा?
कुछ महीने पहले भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विस्तार पर लगाया गया प्रतिबंध वापस ले लिया गया था और तदनुसार हम अगले पांच वर्षों के लिए बैंक के विस्तार पर एक योजना बना रहे हैं। हालांकि कोरोना के चलते हमारे सामने कई बाधाएं थीं। धीरे-धीरे, हम खुदरा जमाओं को आकर्षित करने के लिए बैंकिंग शाखाओं का विस्तार करने जा रहे हैं।
क्या आप संग्रह में सुधार देख रहे हैं?
संग्रह अच्छे तरीके से बढ़ रहा है। जब जून में लॉकडाउन में ढील दी गई, तो उधार लेने वालों ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया। हालांकि स्थानीय स्तर पर लगाए जा रहे लॉकडाउन हमारे सामने चुनौती खड़ी कर रहे हैं। संग्रह लगभग 85 फीसदी तक सामान्य हो गया है। कुल मिलाकर जून की शुरुआत से संग्रह दक्षता में सुधार हुआ है।
बिहार एवं असम में बाढ़ किस हद तक कारोबार को प्रभावित कर रहे हैं?
बिहार तथा असम में बाढ़ आ रही है और पश्चिम बंगाल में एक चक्रवात आया। हर साल बाढ़ या चक्रवात आते रहते हैं। पिछले साल ओडिशा में फानी चक्रवात का सामना करना पड़ा था। अपने पिछले अनुभव के आधार पर इस बार हमने स्वेच्छा से संग्रह रोक दिया। हम केवल सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ग्राहकों के संपर्क में थे जिसने हमें अच्छे संबंध बनाने में मदद की। एक बार जब वे बेहतर स्थिति में पहुंच जाएंगे, तो स्वयं बकाया चुकाने के लिए आगे आएंगे।