केंद्र सरकार द्वारा तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को दिए गए इस सुझाव से उनकी आय के परिदृश्य पर संशय के बादल छा गए हैं कि जोरदार लाभ के बीच वे पेट्रोल और डीजल के दामों में कटौती करें।
वित्त वर्ष 23 की जनवरी-मार्च तिमाही (वित्त वर्ष 23 की चौथी तिमाही) के दौरान भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL), इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL) ने क्रमश: प्रति बैरल 21 डॉलर, 15 डॉलर और 14 डॉलर का सकल रिफाइनिंग मार्जिन (जीआरएम) दर्ज किया है।
सरकारी स्वामित्व वाली रिफाइनरों ने आंकड़ों की जानकारी दिए बिना कहा है कि उनका विपणन मार्जिन – खुदरा बिक्री पर अर्जित मार्जिन – इस तिमाही और पूरे वित्त वर्ष 23 के दौरान दबाव में रहा तथा इससे जीआरएम से प्राप्त लाभ समायोजित हो जाता है।
इस तिमाही में बीपीसीएल का शुद्ध लाभ 7,563 करोड़ रुपये (पिछले साल के मुकाबले 168 प्रतिशत अधिक) रहा और आईओसी का शुद्ध लाभ 10,059 करोड़ रुपये (52 प्रतिशत अधिक) तथा एचपीसीएल का शुद्ध लाभ 3,223 करोड़ (नौ साल का अधिक स्तर और 80 प्रतिशत अधिक) रहा।
इक्विनोमिक्स रिसर्च ऐंड एडवाइजरी के संस्थापक और अनुसंधान प्रमुख जी चोक्कलिंगम ने कहा कि कैलेंडर वर्ष 2023 की दूसरी छमाही में कई राज्यों के चुनाव होंगे और उसके बाद वर्ष 2024 में आम चुनाव होंगे। सरकार इससे पहले ईंधन के दाम कम करना चाहेगी। इसलिए अगर वित्त वर्ष 24 की पहली तिमाही के परिणामों के बाद दामों में कटौती की जाती है, तो ओएमसी को अपना लाभ मार्जिन गंवाना पड़ेगा।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के मुताबिक अगर अंतरराष्ट्रीय कीमतों में प्रति बैरल 1 डॉलर का बदलाव होता है, तो ओएमसी को मार्जिन मौजूदा स्तर पर बनाए रखने के लिए खुदरा कीमतों को प्रति लीटर 0.53 रुपये तक समायोजित करना होगा।
इसने हाल की एक रिपोर्ट में कहा है कि इस तरह अगर कीमतों में प्रति लीटर चार से पांच रुपये की कमी की जाती है, तो मार्जिन का सहारा हट जाएगा, जिससे अगले छह महीने में कच्चे तेल की कीमतों में अचानक बढ़ोतरी होने की स्थिति में ओएमसी असहाय हो जाएंगी। काफी कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि वित्त वर्ष 24 और 25 में तेल की वैश्विक मांग कैसी रहती है, खास तौर पर चीन और अमेरिका में। यूरो क्षेत्र पहले ही वर्ष 2023 के शुरुआती तीन महीने में तकनीकी मंदी में प्रवेश कर चुका है।
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा कि अगर अमेरिकी अर्थव्यवस्था भी वर्ष 2023 के अंत तक मंदी का संकेत देती है, तो इससे वैश्विक मांग पर असर पड़ेगा और तेल की कीमतों पर दबाव पड़ेगा। दूसरी तरफ अगर अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी से बच जाती है, तो तेल की कीमतें बढ़ेंगी। ऐसे परिदृश्य में ओएमसी पेट्रोल पंप के दाम कम नहीं कर पाएंगी।
एसीई इक्विटी के आंकड़ों से पता चलता है कि कैलेंडर वर्ष 23 में अब तक ब्रेंड क्रूड के दामों में करीब 11 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है। इस अवधि के दौरान बीएसई पर आईओसी, एचपीसीएल और बीपीसीएल के शेयरों में 13 प्रतिशत से 21.6 प्रतिशत के बीच इजाफा हो चुका है।
तुलनात्मक रूप से बीएसई सेंसेक्स में लगभग चार प्रतिशत का इजाफा हुआ है, जबकि एसऐंडपी बीएसई तेल और गैस सूचकांक में 10 प्रतिशत की गिरावट आई है।