वर्ष 2021 भारतीय तकनीकी स्टार्टअप कंपनियों के नाम रहा। इस क्षेत्र की कंपनियों ने निजी बाजार से न केवल 36 अरब डॉलर की पूंजी जुटाई बल्कि उनमें से 43 यूनिकॉर्न भी बन गईं। इतना ही नहीं, घाटे में रहने के बावजूद कुछ बड़ी तकनीकी स्टार्टअप फर्मों ने इस साल पूंजी बाजार में भी धमाकेदार दस्तक दी। 2021 में आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) से जुटाए गए करीब 36 अरब डॉलर में से इन कंपनियों ने 6 अरब डॉलर अपने नाम किया।
उद्योग पर नजर रखने वालों और तकनीकी उद्यमियों के अनुसार 2022 में भी आईपीओ की रफ्तार थमने के आसार नहीं हैं। ओला, कैनेलरी और ऑफबिजनेस जैसी यूनिकॉर्न फर्मों के साथ ही लॉजिस्टिक्स स्टार्टअप डेल्हीवरी, ऑनलाइन फार्मेसी फार्मईजी, ई-कॉमर्स कंपनी स्नैपडील, होटल ऐग्रीगेटर ओयो सहित कई कंपनियों ने आईपीओ लाने के लिए नियामक के पास आवेदन किया है।
एडटेक स्टार्टअप बैजूज अमेरिकी फर्म चर्चिल से 4 अरब डॉलर निवेश के लिए बात कर रही है और विशेष उद्देश्यीय अधिग्रहण कंपनी (स्पेस) के जरिये आईपीओ लाने की योजना बना रही है। मामले के जानकारों का कहना है कि यह निवेश बैजूज के मौजूदा मूल्यांकन से दोगुने यानी करीब 48 अरब डॉलर पर होगा। रवींद्रन बैजू के नेतृत्व वाली इस कंपनी का मूल्यांकन अभी करीब 21 अरब डॉलर है। इतना अधिक मूल्यांकन हासिल करने वाली यह पहली घरेलू स्टार्टअप फर्म है। अगर चर्चिल कैपिटल के साथ सौदा होता है तो बैजूज चर्चिल के एक स्पेस से विलय कर 2022 के मध्य तक अमेरिकी बाजार में सूचीबद्घ हो सकती है।
ई-कॉमर्स दिग्गज फ्लिपकार्ट भी स्पेस के माध्यम से अमेरिकी बाजार में सूचीबद्घता की संभावना तलाश रही है। कंपनी 50 अरब डॉलर के मूल्यांकन के साथ 2022 के अंत में या 2023 की शुरुआत में सूचीबद्घ हो सकती है। हालांकि कंपनी ने इसकी समयसीमा तय नहीं की गई है। इस बीच फ्लिपकार्ट के सह-संस्थापक और पूर्व मुख्य कार्याधिकारी सचिन बंसल की वित्तीय सेवा कंपनी नावी ने कैलेंडर वर्ष 2022 की पहली तिमाही में 50 करोड़ डॉलर का आईपीओ लाने के लिए बैंकरों को छांटने का काम भी कर लिया है।
बी2बी ई-कॉमर्स फर्म ऑफबिजनेस के संस्थापक र्आर मुख्य कार्याधिकारी आशीष महापात्र ने कहा, ‘आईपीओ लाना केवल पूंजी जुटाना भी ही नहीं है। हमने इस साल निजी बाजार से पांच चरण में पूंजी जुटाई है और जरूरत पडऩे और और पूंजी जुटाई जा सकती है। असल में सूचीबद्घता वह पड़ाव है जिसे हरेक स्टार्टअप हासिल करना चाहता है।’
दिसंबर में हालिया पूंजी जुटाने के चरण में ऑफबिजनेस का मूल्यांकन 5 अरब डॉलर किया गया था। कंपनी अक्टूबर-दिसंबर 2022 में आईपीओ ला सकती है।
परिवार की कंपनियों को सलाह देने वाले वरिष्ठ प्रबंधन सलाहकार सूरज मलिक ने कहा कि 2022 में आईपीओ की होड़ रहने की एक वजह यह भी है कि आम बजट में उद्योग के अनुकूल कई नीतियां आ सकती हैं। इस साल तकनीकी कंपनियों के आईपीओ को मिली अच्छी प्रतिक्रिया से भी कंपनियां पूंजी बाजार में जाने के लिए उत्साहित हैं।
हालांकि दलाल पथ की सवारी उतनी भी आसान नहीं है। इस साल ही कई ऐसे मामले देखे गए। गेमिंग कंपनी नजारा और ट्रैवल टेक फर्म ईजमाईट्रिप इस साल सबसे पहले आईपीओ लाने वालों में रही। इसके बाद जोमैटो ने आईपीओ बाजार में दस्तक दी। लेकिन निर्गम मूल्य से 53 फीसदी प्रीमियम पर सूचीबद्घता के बाद भी कंपनी अपनी छाप नहीं छोड़ पाई। नायिका और पेटीएम सूचीबद्घता के बाद लाख करोड़ रुपये बाजार पूंजीकरण वाली जमात में शामिल हुई। लेकिन फिनटेक फर्म पेटीएम का आईपीओ उतना अच्छा नहीं रहा। 2.46 अरब डॉलर वाली कंपनी का शेयर सूचीबद्घता के दिन औैंधे मुंह गिर गया।
ऑनलाइन स्टॉकब्रोकिंग फर्म जीरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामत ने कहा कि पेटीएम के आईपीओ से यह सीख मिली कि खुदरा निवेशक वैसी तकनीकी कंपनियों की ओर जल्दी आकर्षित नहीं होते हैं, जिन्हें मुनाफे में आने में लंबा वक्त लगता दिखता है। मगर उन्होंने कहा कि 2022 में भी भारतीय जीवन बीमा निगम के आईपीओ से पहले के दो महीने और उसके बाद के दो महीनों को छोड़कर कई कंपनियों के आईपीओ आएंगे।
हालांकि आईपीओ नियमों में हालिया बदलाव से भी सूचीबद्घता को लेकर सतर्कता बढ़ सकती है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड ने आईपीओ में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी बेचने की सीमा कम कर दी है और एंकर निवेशक भी सूचीबद्घता के तुरंत बाद अपना निवेश नहीं बेच पाएंगे।