वोडाफोन आइडिया के मुख्य कार्याधिकारी अक्षय मूंदड़ा का कहना है कि दुनिया में सर्वाधिक करों में से एक के अलावा, भारतीय दूरसंचार कंपनियों को अपने कुल राजस्व का 58 प्रतिशत हिस्सा सरकारी करों के तौर पर चुकाना पड़ता है। उनका कहना है कि उद्योग को तकनीकी अपनाने के लिए भारी पूंजी निवेश करने की जरूरत से जूझना पड़ रहा है, इसलिए उद्योग पर कर बोझ को तेजी से घटाए जाने की जरूरत होगी।
मूंदड़ा ने छठी मोबाइल कांग्रेस में सीईओ कॉन्कलेव में बोलते हुए कहा, ‘हमें 18 प्रतिशत जीएसटी, 12 प्रतिशत लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम इस्तेमाल शुल्क चुकाने पड़ते हैं। इस 30 प्रतिशत के बारे में हर कोई जानता है। जिसके बारे में सबको पता नहीं है, वह है स्पेक्ट्रम की कीमत, यदि एन्युटी वैल्यू के तौर पर परिवर्तित किया जाए और राजस्व प्रतिशत के तौर पर गणना की जाए तो उद्योग के राजस्व का अन्य 28 प्रतिशत हिस्सा लागत के तौर पर जुड़ जाता है।’
उन्होंने कहा, ‘इसलिए, यदि आप 231 करोड़ रुपये के उद्योग राजस्व के आंकड़ा पर विचार करते हैं और स्पेक्ट्रम की कुल वैल्यू (जो मौजूदा समय में 6 लाख करोड़ रुपये के आसपास है) से इसकी गणना करते हैं , तो भुगतान की एन्युटी वैल्यू कुल राजस्व का 28 प्रतिशत बैठेगी। इसलिए राजस्व का 58 प्रतिशत हिस्सा ऐसे देश में सरकारी करों से जुड़ा होता है जहां दरें सबसे कम हैं।’
मूंदड़ा ने कहा कि यदि सरकार कर बोझ घटाती है तो निवेश के लिए परिचालन नकदी बढ़ सकती है।
नए अवसर
उन्होंने कहा कि 5जी लो लेटेंसी, अल्ट्रा लो लेटेंसी, मैसिव मशीन टाइप कम्युनिकेशन जैसे फीचर्स को बढ़ावा देगी। मूंदड़ा ने कहा, ‘इनका स्वत: निर्माण में योगदान होगा, जो पहले संभव नहीं था। अगले 2-3 साल के दौरान, इंटरनेट-ऑफ-थिंग्स समेत निर्माण खंड टेक्नोलॉजी के प्रमुख वाहकों में से एक होगा, जिसे समाज की बेहतरी और दक्षता तथा उत्पादकता में सुधार लाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।’
टाटा कम्युनिकेशंस ट्रांसफॉर्मेशन सर्विसेज (टीसीटीएस) के मुख्य कार्याधिकारी एवं कार्यकारी चेयरमैन मधुसूदन मैसोर ने कहा कि पूरे 5जी तंत्र में बड़ा निवेश होने की संभावना है। 5जी सिर्फ एक तकनीकी या आईटी-इन्फ्रास्ट्रक्चर आधारित बातचीत नहीं है। यह बोर्डरूम की व्यावसायिक रणनीति का हिस्सा बन रही है।
अमेरिकी बहुराष्ट्रीय सेमीकंडक्टर निर्माता एएमडी में डेटा सेंटर एवं कम्युनिकेशंस के एसवीपी सलिल राजे ने कहा, ‘4जी का इस्तेमाल 2016 के 9 प्रतिशत से बढ़कर अब 68 प्रतिशत हो गया है। यह डेटा खपत में 15 गुना वृद्धि की मदद से हुआ। भारतीय हर महीने करीब 15 एक्साबाइट डेटा का इस्तेमाल करते हैं।’ एक एक्साबाइट में 1 अरब गीगाबाइट होता है।
उन्होंने कहा कि भारत को हार्डवेयर प्रोसेसिंग सेक्टर में अधिक प्रतिभाएं आकर्षित करने की जरूरत होगी।
