सर्वोच्च न्यायालय ने काल एयरवेज और उसके संस्थापक कलानिधि मारन की उस अपील को खारिज करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा, जिसमें किफायती विमानन कंपनी स्पाइसजेट से 1,323 करोड़ रुपये के हर्जाने की मांग की गई थी।
स्पाइसजेट के पूर्व प्रवर्तक मारन और काल एयरवेज ने इस महीने की शुरुआत में उच्च न्यायालय के 23 मई के आदेश को चुनौती देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति एएस चंदुरकर के पीठ ने विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी।
उच्च न्यायालय ने पाया कि मारन ने मध्यस्थता निर्णय को चुनौती देने में देरी करके और उसे दोबारा दायर करके सोची-समझी चाल चली है। पीठ ने मौजूदा अपील दायर करने में 55 दिनों और दोबारा दायर करने में 226 दिनों की देरी को माफ करने से इनकार कर दिया। उच्च न्यायालय ने कहा था, ‘चूंकि दायर करने और दोबारा दायर करने में देरी के लिए माफी का आवेदन खारिज कर दिया गया है, इसलिए याचिकाएं भी गुण-दोष पर विचार किए बिना देरी के आधार पर खारिज की जाती हैं।’इससे पहले मारन और काल एयरवेज की याचिकाओं को मध्यस्थ न्यायाधिकरण और फिर उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश वाले पीठ ने खारिज कर दिया था।