देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंटरग्लोब एविएशन (इंडिगो) का शेयर पिछले कारोबारी सत्रों के दौरान 7 प्रतिशत चढ़ा है। इस शेयर में इन उम्मीदों से तेजी आई है कि मजबूत यात्री संख्या, सुधरते प्रतिफल, और प्रवर्तकों द्वारा हिस्सेदारी बिक्री पर कोई प्रतिबंध नहीं होने से परिदृश्य और निवेशक धारणा मजबूत होगी। इंडिगो पर ‘आउटपरफॉर्म’ रेटिंग देने वाले क्रेडिट सुइस के विश्लेषकों का मानना है कि कंपनी मजबूत प्रतिफल और यात्रियों की संख्या में सुधार की मदद से दिसंबर तिमाही में मुनाफे की स्थित में लौट सकती है और उसका लोड फैक्टर कोविड से पहले जैसे स्तरों के आसपास आ सकता है।
4 दिसंबर को समाप्त हुए सप्ताह के लिए यात्रियों की संख्या 357,000 रही, जो महामारी-पूर्व औसत (अप्रैल 2019-फरवरी 2020) के 89 प्रतिशत है। यात्रियों की संख्या में 27 नवंबर को समाप्त हुए सप्ताह के मुकाबले गिरावट आई है, जो 374,000 (कोविड-पूर्व स्तरों का 93 प्रतिशत) थी, जो महामारी शुरू होने के बाद से यात्रियों का सर्वाधिक स्तर है। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के विश्लेषकों के अनुसार जहां विमान यात्रियों की संख्या तिमाही आधार पर घटी है, वहीं ओमिक्रॉन का प्रभाव अब तक धीमा बना हुआ है। प्रमुख एयरलाइनों का यात्री लोड फैक्टर (पीएलएफ) बढ़ा है और यह औसत 75 प्रतिशत से ऊपर रहा है, वहीं इंडिगो का पीएलएफ अक्टूबर में बढ़कर 78 प्रतिशत रहा, जो सितंबर में 74 प्रतिशत था। इस शेयर के लिए अन्य कारक कंपनी द्वारा बुलाई गई असाधारण आम बैठक है, जिसमें वह आर्टीकल्स ऑफ एसोसिएशन में संशोधन कर सकती है जिससे प्रवर्तक शेयरों के स्थानांतरण पर प्रतिबंध हट सकता है। दोनों प्रवर्तकों के पास इनकार का पहला अधिकार था, यदि उनमें से कोई अपना हिस्सा किसी अन्य पक्ष को बेचना चाहता। जहां इस संबंध में प्रवर्तकों के बीच टकराव समाप्त नहीं हुआ, वहीं प्रतिबंध हटने को ब्रोकरों द्वारा सकारात्मक माना जा रहा है।
हालांकि मूल्य निर्धारण में सुधार और ऊंचे लोड फैक्टर से प्रतिफल में मदद मिलनी चाहिए, लेकिन बाजार की नजर कच्चे तेल की कीमतों पर उतार-चढ़ाव पर लगी रहेगी। 26 अक्टूबर के करीब 86 डॉलर प्रतिफल के ऊंचे स्तर से गिरने के बाद यह इस महीने के शुरू में 68 डॉलर पर आ गया। ओमिक्रॉन और अन्य चिंताएं घटने से कीमतें चढ़कर 75 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गईं और इससे मुनाफे पर दबाव पड़ेगा।
