वित्त वर्ष 25 की चौथी तिमाही में जेएसडब्ल्यू स्टील का प्रदर्शन मूल्य निर्धारण के बेहतर माहौल और बढ़े हुए वॉल्यूम को दर्शाता है। ऑडियो साक्षात्कार में जेएसडब्ल्यू स्टील के संयुक्त प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी जयंत आचार्य ने ईशिता आयान दत्त को बताया कि कंपनी अपनी विस्तार योजनाओं के साथ आगे बढ़ रही है और अधिग्रहण के उन अवसरों पर विचार करेगी जो रणनीतिक रूप से अच्छे होंगे।
प्रमुख अंश …
पिछले तिमाही में हमारे परिचालन का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा, जिसे भारतीय परिचालन से बढ़ावा मिला, विशेष रूप से जेवीएमएल (जेएसडब्ल्यू विजयनगर मेटालिक्स लिमिटेड) के बढ़ने से। हमने चौथी तिमाही में बीपीएसएल के उत्पादन में सुधार किया और तिमाही के दौरान सर्वाधिक उत्पादन और बिक्री की। हमने पिछले दो वर्षों में जिस घरेलू बिक्री पर ध्यान केंद्रित किया, उसका फायदा मिला। भारतीय परिचालन के एबिटा में 872 करोड़ रुपये तक की वृद्धि हुई, जिसने समूचे प्रदर्शन में योगदान किया। लेकिन लागत के लिहाज से जेवीएमएल परिचालन का वास्तविक लाभ आने वाली तिमाहियों में मिलेगा।
हमें पहले ही बेहतर प्रदर्शन दिख रहा है। इससे हमें इस बात का भरोसा होता है कि अमेरिकी परिचालन इस साल समूचे एबिटा में योगदान करेगा। इटली का परिचालन इतालवी रेल के साथ द्विपक्षीय समझौता करने की प्रक्रिया में है और इससे वॉल्यूम और एबिटा में भी सुधार होगा। कुल मिलाकर विदेशी परिचालन जेएसडब्ल्यू स्टील के एबिटा में सकारात्मक योगदान करेंगे।
वित्त वर्ष 26 के लिए हमारी पूंजीगत व्यय योजना करीब 20,000 करोड़ रुपये की होगी। हम स्टील क्षमता के समूचे विस्तार के लिहाज से वॉल्यूम का निर्माण कर रहे हैं और साथ ही हम पूरी प्रणाली को मूल्य प्रदान करने के लिए अपने डाउनस्ट्रीम विस्तार में जुटे हुए हैं।
निश्चित रूप से। हमने 3.05 करोड़ टन उत्पादन और 2.92 करोड़ टन बिक्री की मात्रा का अनुमान लगाया है। चौथी तिमाही से पहली तिमाही तक मूल्य निर्धारण के माहौल में सुधार हुआ है। मुझे औसतन लगभग 3,250 रुपये प्रति टन का सुधार दिख रहा है। यह दिसंबर और जनवरी के निचले स्तर के मुकाबले अच्छी राहत है। कोकिंग कोल की हमारी लागत प्रति टन 15 डॉलर तक कम हो गई है और हमें पहली तिमाही में 10 से 15 डॉलर की और गिरावट दिख रही तथा संरक्षण शुल्क बहुत मददगार रहा है।
हां। डोलवी के विस्तार के साथ-साथ विजयनागर का विस्तार हमारी क्षमता को 70 लाख टन तक बढ़ा देगा। अन्य स्थलों पर कुछ वृद्धिशील इजाफे की वजह से हम 4.2 करोड़ टन के काफी करीब होंगे। उसके बाद हमारे पास विजयनगर में जेवीएमएल के विस्तार के लिए 50 लाख और सलाव में तकरीबन 40 लाख टन के अवसर हैं, जो भारत में हमारी क्षमता को पांच करोड़ टन तक ले जाएंगे। हमारे पास पारादीप (ओडिशा) और गढ़चिरोली (महाराष्ट्र) में भी अवसर हैं।
बीपीएसएल के अधिग्रहण में कई उतार-चढ़ाव नजर आए हैं। ईडी ने संपत्तियों की कुर्की की और आखिर में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश ने आपकी समाधान योजना को खारिज कर दिया और परिसमापन का आदेश दिया है। निवेशक के रूप में क्या यह आपको आईबीसी संपत्तियों के लिए बोली लगाने से रोकेगा?
यह शायद एक अपवाद है। हम प्रत्येक संपत्ति पर गुणवत्ता के आधार पर विचार करेंगे और फिर इस पर विचार करेंगे कि इसमें रणनीतिक और संरचनात्मक रूप से हमारे लिए क्या मायने रखता है। हमारे पास विस्तार के लिए कई अवसर हैं। हम निश्चित रूप से उनके लिए प्रयास करेंगे।
मैं आपको विवरण नहीं दे पाऊंगा क्योंकि यह अदालत में विचाराधीन है। लेकिन मैं केवल इतना दोहराना चाहता हूं कि इस योजना पर कानून के मुताबिक पूरी तरह अमल किया गया था और हम परिचालन शुरू करने और इसे आज की स्थिति में लाने के लिए कदम उठाने में सक्षम रहे हैं। हमारा मानना है कि हमारे पास कानूनी उपाय तलाशने के मजबूत आधार हैं और निश्चित रूप से हम सभी उपलब्ध कानूनी उपायों को टटोलेंगे।