टाटा स्टील (Tata Steel) कई बड़े बदलावों से गुजर रही है, जिनमें ब्रिटेन में पुनर्गठन प्रक्रिया को आगे बढ़ाना, देश में क्षमता वृद्धि और बैलेंस शीट पर ध्यान बनाए रखना मुख्य रूप से शामिल हैं।
टाटा स्टील के एमडी एवं सीईओ टीवी नरेंद्रन ने ईशिता आयान दत्त के साथ वीडियो साक्षात्कार में विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
-स्टील स्पॉट स्प्रेड में सुधार आया है और नीदरलैंड में ब्लास्ट फर्नेस में मरम्मत का काम पूरा हो गया है। क्या आप बेहतर पहली तिमाही की उम्मीद कर रहे हैं?
नीदरलैंड में ब्लास्ट फर्नेस फरवरी के पहले सप्ताह में ही शुरू हुई, इसलिए हम पूरी तिमाही में आपूर्ति नहीं कर पाए। इस संदर्भ में पहली तिमाही चौथी से बेहतर होगी। ब्रिटेन पहले जैसी स्थिति में नहीं रहेगा, क्योंकि उसे लगभग 5 करोड़ पाउंड का एकमुश्त लाभ हुआ था जो वहां अब नहीं होगा।
भारत में, हमें प्रति टन एबिटा थोड़ा कम रहने का अनुमान है, हालांकि यह अंतर सुधरा है, क्योंकि यह ऐसी तिमाही है जिसमें हमारे यहां कामकाज कई बार बंद रहा। इसलिए पहली तिमाही में बिक्री कम रहेगी। साल दर साल आधार पर, हमें भारत में प्रति टन एबिटा काफी हद तक सपाट रहने की उम्मीद है, लेकिन बिक्री ऊंची रहेगी। हम 14 लाख टन की शुद्ध वृद्धि दर्ज करेंगे। नीदरलैंड में एबिटा बेहतर रह सकता है। कुल मिलाकर, टाटा स्टील के लिए यह वर्ष पिछले साल के मुकाबले बेहतर रहेगा।
-ब्रिटेन सरकार के साथ वित्त पोषण समझौते की क्या स्थिति है?
कई बारीकियां थीं जिन पर काम किया जा रहा था और अब यह पूरा हो गया है। इसकी रिपोर्ट सरकार को भेजी गई है जो इसे मंजूरी देगी। हम इस समझौते के अंतिम चरण में हैं।
-क्या ब्रिटेन के चुनावी राह पर बढ़ने से इस समझौते के लिए कोई जोखिम है?
हम चुनाव को जोखिम नहीं मान रहे हैं। सत्ता में आने वाली कोई भी सरकार हमें घाटे की भरपाई के लिए पैसे नहीं दे पाएगी। वह हमें कुछ बनाने के लिए पैसे दे सकते हैं, लेकिन हमें घाटे की भरपाई के लिए पैसे नहीं दे सकती। इसलिए मुख्य समस्या परिसंपत्तियों की गुणवत्ता और घाटे की है।
-आप ब्रिटिश परियोजना में 75 करोड़ पाउंड निवेश कर रहे हैं, जो पुनर्गठन लागत से ज्यादा है। क्या इससे भारत में विस्तार की योजना प्रभावित होगी?
75 करोड़ लोगों को अगले 3 से 4 साल में खर्च करने की जरूरत होगी। इसलिए हम नहीं मानते कि भारत में विकास की कोई योजना प्रभावित होगी। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जब टाटा स्टील काफी छोटी थी, तब यूरोप को बड़ी सहायता दी गई थी। जब हमने कोरस का अधिग्रहण किया, तब हमारा उत्पादन 40 लाख टन था। अब हम 2 करोड़ टन पर पहुंच गए हैं और 2.5 करोड़ टन की ओर जा रहे हैं। इसलिए भारतीय व्यवसाय तेजी से बढ़ रहा है।
-अगले दो-तीन साल में आप क्षमता के संदर्भ में टाटा स्टील को कहां देख रहे हैं?
दो-तीन साल में, टाटा स्टील 2.6 करोड़ टन पर पहुंच जाएगी, कलिंगनगर का पूरी तरह से विस्तार हो जाएगा और लुधियाना संयंत्र भी तैयार हो जाएगा। आप देखेंगे कि भूषण में क्षमता 50 लाख टन से बढ़ाकर 70 लाख टन करने, कलिंगनगर में 80 लाख टन से बढ़ाकर 1.3 करोड़ टन और नीलांचल में 10 लाख से बढ़ाकर 50 लाख करने के लिए काम शुरू हो गया है। यदि लुधियाना में परिचालन मॉडल सफल साबित हुआ तो हम अन्य 2-3 इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस जल्द स्थापित कर सकेंगे।
-क्या भारत में आयात से विस्तार योजनाएं प्रभावित होंगी?
फिलहाल नहीं, लेकिन अगले 6 महीने या ज्यादा समय तक मौजूदा हालात बने रहे तो इससे घरेलू उद्योग प्रभावित होगा। इसलिए यह सरकार के लिए एक चिंता का विषय है। जब आप निजी क्षेत्र के पूंजीगत खर्च में सुधार की बात करें तो मैं नहीं मानता कि इस्पात उद्योग से बेहतर कुछ और हो सकता है।