मैक्रोटेक डेवलपर्स (लोढा डेवलपर्स के नाम से भी चर्चित) के 2,500 करोड़ रुपये के आईपीओ को निवेशकों से सुस्त प्रतिक्रिया मिली है। यह निर्गम महज 1.37 गुना अभिदान आकर्षित करने में सफल रहा, जो 2021 में आईपीओ के लिए कमजोर है।
3.642 करोड़ की इस पेशकश कोरिटेल एवं कर्मचारी हिस्से के तहत 5 करोड़ से कम आवेदन मिले। हालांकि यह आईपीओ पात्र संस्थागत खरीदारों (क्यूआईबी) से अच्छी मांग हासिल करने में सफल रहा। क्यूआईबी हिस्से को 3.06 गुना अभिदान मिला। अमीर निवेशकों यानी एचएनआई हिस्से के लिए 1.45 गुना अभिदान दर्ज किया गया।
उद्योग के जानकारों का कहना है कि ग्रे बाजार की दरों से संकेत मिला कि यह शेयर गिरावट पर सूचीबद्घ हो सकता है, जिससे कई निवेशकों ने इसमें आवेदन करने से दूरी बनाई। उनका कहना है कि इसके अलावा, ऊंचे कर्ज स्तरों को लेकर भी चिंताएं बनी रहीं। अक्सर अपने संबद्घ क्षेत्र की बड़ी कंपनियों में शेयर बनाए रखने वाले संस्थागत निवेशक ने इस आईपीओ में आवेदन किया। मुंबई स्थित डेवलपर लोढा 2,500 करोड़ रुपये के आईपीओ से प्राप्त होने वाली रकम का इस्तेमाल अपना कर्ज घटाने और भूमि खरीद में करेगी।
आईपीओ के लिए कीमत दायरा 483-486 रुपये प्रति शेयर था। अब कंपनी सूचीबद्घ क्षेत्र में डीएलएफ और गोदरेज प्रॉपर्टीज के बाद और ओबेरॉय रियल्टी से कुछ आगे तीसरी सर्वाधिक मूल्य वाली डेवलपर बन गई है।
रिलायंस सिक्योरिटीज ने ग्राहकों को भेजी एक रिपोर्ट में कहा है, ‘आईपीओ की वैल्यू वित्त वर्ष 2020 की आय के 26.3 गुना और वित्त वर्ष 2020 बुक वैल्यू के 4.8 गुना पर है, जो उसकी प्रतिस्पर्धियों गोदरेज प्रॉपर्टीज और डीएलएफ के मुकाबले काफी हद तक उचित दिख रही है। इसके अलावा, मजबूत परियोजना पोर्टफोलियो और भूमि बैंक की बिक्री ने भी स्थिति अनुकूल बना दी है। साथ ही उसका प्रतिफल अनुपात भी प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले अच्छा दिख रहा है।’ दिसंबर 2020 के अंत में, समेकित आधार पर लोढा का कुल बकाया 18,662 करोड़ रुपये पर था।