एचडीएफसी बैंक ने कई महीनों की अटकलों के बाद आज शशिधर जगदीशन को अपना नया प्रबंध निदेशक और सीईओ बनाने की घोषणा कर दी। जगदीशन 26 अक्टूबर को आदित्य पुरी के सेवानिवृत्त होने के बाद उनकी जगह लेंगे। पुरी भारत में सबसे लंबे समय तक सीईओ के पद पर बने रहने वाले व्यक्ति हैं।
जगदीशन 55 साल के हैं। वह वर्ष 1996 में एचडीएफसी बैंक से जुड़े थे। वह बैंक के ऋण, मानव संसाधन और अन्य िवभागों की अगुआई कर रहे हैं। अगस्त, 2019 में बैंक में ‘चेंज एजेंट’ के रूप में उनके नाम की घोषणा हुई थी। माना जा रहा है कि पुरी उन्हें अपना उत्तराधिकारी बनाने के पक्ष में थे। इस पद की दौड़ में एचडीएफसी के थोक बैंकिंग खंड के प्रमुख कैजाद भरूचा और सिटी बैंक के सुनील गर्ग भी शामिल थे।
जगदीशन की नियुक्ति की मंजूरी आरबीआई से सोमवार देर रात मिली, इसलिए बैंक ने इस बारे में एक्सचेंज को जानकारी आज सुबह दी। बैंक की तरफ से भेजी गई सूची में जगदीशन का नाम सबसे ऊपर था, इसलिए यह तय माना जा रहा था कि वह बैंक की अगुआई करेंगे। आम तौर पर केंद्रीय बैंक उम्मीदवारों का मूल्यांकन नहीं करता है। वह सूची के क्रम के हिसाब से चलता है, इसलिए अगर कोई उम्मीदवार ‘योग्यता’ के मानदंड पर खरा उतरता है तो उसके नाम को मंंजूूरी दे दी जाती है।
बैंक ने कहा कि जगदीशन चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं और उन्होंने ब्रिटेन के शेफील्ड विश्वविद्यालय से इकनॉमिक्स ऑफ मनी, बैंकिंग ऐंड फाइनैंस में स्नातकोत्तर डिग्री हासिल की है। संगठन के अंदर के उम्मीदवार की नियुक्ति से बैंक में नीतियों की निरंतरता सुनिश्चित होगी, जिसे शेयर बाजार ने भी पसंद किया। बैंक का शेयर बीएसई पर 3.81 फीसदी चढ़कर 1,040.20 रुपये पर बंद हुआ।
मैक्वायरी के विश्लेषक सुरेश गणपति ने कहा, ‘हमारा मानना है कि मौजूदा अनिश्चित माहौल में सेवानिवृत्त हो रहे सीईओ पुरी जैसे ही आंतरिक उम्मीदवार को नियुक्त करना सही फैसला है।’
पुरी ने एक टेलीविजन साक्षात्कार में कहा था कि उनके उत्तराधिकारी की फेहरिस्त में शामिल शशिधर जगदीशन अच्छे इंसान हैं, लोगों की परवाह करते हैं, फैसलों का बेहतर क्रियान्वयन करते हैं और कारोबार को समझते हैं।
पुरी के मुताबिक बैंक की रणनीति दुनिया को बदलने वाले दूरसंचार एवं कंप्यूटिंग, कृत्रिम मेधा (एआई), सामाजिक आवाजाही में बदलाव पर आधारित है, जिसे जगदीशन ठीक से आगे बढ़ा सकते हैं।
जगदीशन को अपनी नई भूमिका में डिजिटलीकरण पर जोर को अपनी प्राथमिकता बनाना होगा। पुरी ने कहा, ‘हम 90 फीसदी डिजिटलीकरण हासिल कर चुके हैं, जिससे हम पूरे देश में पहुंच चुके हैं। अगले तीन से चार साल में हमारे पास लगभग हर बैंक में एक बैंक होगा। दूसरा, कस्बाई और ग्रामीण इलाकों में ऋण सुविधाओं का प्रसार हो रहा है। तीसरा, डिजिटल बैंकिंग के क्षेत्र में लोगों को प्रशिक्षित करना है। चौथा, ग्राहकों के लिए उत्पादों को बढ़ाना है।’
विश्लेषकों का कहना है कि संगठन के अंदर के व्यक्ति को नियुक्त करना बैंक के लिए अच्छा है। लेकिन पुरी की छाया से बाहर आना आसान नहीं होगा, जो करीब 25 साल बैंक के सीईओ रहे हैं। वह बैंक में 1994 से सीईओ के पद पर हैं।
पुरी के कार्यकाल में बैंक के शुद्ध मुनाफे में भारी इजाफा हुआ है। यह वित्त वर्ष 1994-95 में 80 लाख रुपये था, जो वित्त वर्ष 2019-20 में 26,257 करोड़ रुपये रहा है। बैंक का लाभ चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 6,658 करोड़ रुपये रहा है।