पूंजी बाजार नियामक सेबी ने नियामकीय नियमों के उल्लंघन के लिए MI रिसर्च पर 35 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। एमआई रिसर्च सेबी पंजीकृत निवेश सलाहकार कंपनी है। इसके प्रमुख आशिष जैन हैं।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने निवेश सलाहकार से जुड़े नियमों के अनुपालन के संदर्भ में MI रिसर्च की जांच की थी। जांच के बाद यह आदेश आया है। जांच की अवधि नवंबर, 2017 से अगस्त, 2019 के बीच थी।
सेबी ने सोमवार को जारी आदेश में कहा कि MI रिसर्च ने निवेश सलाहकार के रूप में सेवा देने के लिये 748 ग्राहकों से 1.95 करोड़ रुपये तक वसूले। ऐसा लगता है कि कंपनी ने अपनी सेवा के एवज में जो शुल्क वसूला, वह काफी ज्यादा है।
इसके साथ एमआई रिसर्च निवेश सलाहकार से जुड़े नियमों का अनुपालन करने में विफल रही। साथ ही उसने अपने ग्राहकों को निश्चित रिटर्न का वादा किया। और अपनी सेवाएं गलत तरीके से ग्राहकों को बेची।
बाजार नियामक सेबी के अनुसार, इस प्रकार एमआई रिसर्च ईमानदारी से और अच्छे विश्वास से कार्य करने में विफल रही। वह उच्च पेशेवर मानक, आचरण के उचित मानकों और नियामकीय जरूरतों का अनुपालन करने में विफल रही।
नियामक ने सोमवार को तीन अलग-अलग आदेशों में बीएसई पर बैगर भुनाए गए स्टॉक ऑप्शंस खंड में गैर-वास्तविक ट्रेडों में शामिल होने के लिए विनीता रानी, विपुल कोठारी और कंचन अग्रवाल पर 5-5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
यह आदेश तब आया जब बाजार नियामक ने बीएसई पर बैगर भुनाए गए स्टॉक ऑप्शंस खंड में ट्रेडों में बड़े पैमाने पर उलटफेर देखा, जिससे एक्सचेंज पर आर्टिफिशल वॉल्यूम बढ़ गया। इसके अलावा नियामक ने अप्रैल 2014 से सितंबर 2015 तक इस खंड में शामिल कुछ संस्थाओं की व्यापारिक गतिविधियों की जांच की।
एक अन्य आदेश में सेबी ने सेलेन एस्टेट लिमिटेड के मामले में खुलासा मानदंडों का पालन नहीं करने के लिए एक इकाई पर 6 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।