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पांच वर्षों में आईबीसी की मदद से वसूले गए 2.5 लाख करोड़ रुपये

Last Updated- December 11, 2022 | 11:47 PM IST

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (आईबीसी) के जरिये दबावग्रस्त संपत्तियों से 2016 से जून 2021 तक 2.5 लाख करोड़ रुपये की वसूली में मदद मिली है जबकि स्वीकृत दावा 7 लाख करोड़ रुपये का था। इस प्रकार वसूली की दर 36 फीसदी रही।
आईबीसी प्रक्रिया के तहत स्वीकार किए गए 4,451 मामलों में से 396 का समाधान किया गया, 1,349 का परिसमापन किया गया, 1,114 को बंद किया गया या वापस लिया गया और 1,682 अब भी लंबित हैं।   
इन संख्याओं से सारी बातें सामने नहीं आती हैं। वास्तविकता यह है कि केवल कुछ बड़े मामलों में ही अच्छी वसूली देखी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि समाधान किए गए 396 मामलों में से समाधान मूल्य के लिहाज से शीर्ष 15 मामलों को छोड़कर रिकवरी दर 18 फीसदी के साथ आधी रह गई। हाल ही में बंधक पड़े ऋणदाता दीवान हाउसिंग फाइनैंस के समाधान से 87,000 करोड़ रुपये के स्वीकृत दावों की जगह 37,000 करोड़ रुपये की वसूली हुई है। इस प्रकार इसमें वसूली दर 43 फीसदी रही। इसके अलावा समाधान मूल्य परिसमापन मूल्य का करीब 1.4 गुना था।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘एक ओर जहां आईबीसी ने शक्ति के समीकरण को देनदारों से लेनदारों के पक्ष में झुका दिया है और भारत के दिवालिया समाधान पारितंत्र को मजबूत करने में मदद की वहीं इसके दोहरे उद्देश्यों – वसूली की रकम को अधिक से अधिक बढ़ाना और समयबद्घ समाधान के समले पर इसका प्रदर्शन मिलाजुला रहा है।’
क्रिसिल के मुताबिक मामलों के समाधान में लगने वाला औसत समय 419 दिन है। आईबीसी के अंतर्गत समाधान के लिए निर्धारित समय 330 दिनों का है। करीब 75 फीसदी मामले 270 से अधिक दिनों से लंबित पड़े हैं।

First Published - November 3, 2021 | 11:45 PM IST

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