उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को एक फैसले में वाणिज्यिक रियल एस्टेट को बड़ी राहत दी है, जिससे इस क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा मिल सकता है। न्यायालय ने पट्टे पर दी जाने वाली वाणिज्यिक इमारत के निर्माण पर आने वाले खर्च पर इनपुट टैक्स क्रेडिट के दावे के आवेदन को मंजूरी दे दी है।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और संजय करोल के पीठ ने कहा, ‘अगर किसी भवन का निर्माण सेवाओं की आपूर्ति जैसी गतिविधियों जैसे उसे किराये पर देने या पट्टे पर देने या भवन या उसके किसी हिस्से को अन्य लेनदेन के लिए किया जाता है, जो जीएसटी अधिनियम के शेड्यूल 2 के क्लॉज (2) और (5) में आता है, तो उस इमारत को संयंत्र माना जा सकता है।’
अनुमान लगाया जा रहा है कि इस नियम से व्यावसायिक किरायेदारों का बोझ कम होगा। इससे रियल एस्टेट कंपनियों को फायदा होगा क्योंकि ऐसी इमारजों को संयंत्र और मशीनरी की श्रेणी में माना जाएगा।
इसके साथ ही यह लाभ वाणिज्यिक रियल एस्टेट तक सिमटा नहीं होगा, बल्कि विभिन्न उद्योग भी वाणिज्यिक संपत्ति के किराये पर आईटीसी का दावा कर सकेंगे।
पीडब्ल्यूसी इंडिया के पार्टनर प्रतीक जैन ने कहा कि यह महत्त्वपूर्ण फैसला है जिसका उद्योग, खासकर होटलों, इन्फ्रास्ट्रक्चर और वेयरहाउसिंग सहित लॉजिस्टिक्स पर पड़ेगा।