क्या अगले साल की दूसरी छमाही में 5जी सेवाओं की पेशकश के लिए रिलायंस जियो की घोषणा अति उत्साह का उदाहरण है या फिर एक वास्तविक लक्ष्य है? इंडियन मोबाइल कांग्रेस में कुछ दिन पहले दिए गए इस बयान से उद्योग आश्चर्यचकित है। इस लक्ष्य की संभावना तीन कारकों पर निर्भर है। पहला, क्या दूरसंचार विभाग (डीओटी) ऊंची आधार कीमत के विरोध के बावजूद मार्च-अप्रैल में 5जी नीलामी के अपने वादे पर कायम रह सकता है? दूसरा, जियो आरआईएल द्वारा कर्ज-मुक्त बनने के प्रयासों के बाद कितनी रकम जुटाने और निवेश करने के लिए तैयार है? तीसरा, कितने प्रभावी तरीके से जियो टेक्नोलॉजी में अपनी दक्षता का लाभ उठाएगी, और अपने 5जी सॉन्युशनों के साथ पेशकश की गति बढ़ाएगी और पूंजीगत खर्च में कमी लाएगी?
वैश्विक संदर्भ में, अंबानी का लक्ष्य किसी तरह असंभव नहीं है। नेटवर्कों की पेशकश में लगने वाला समय 4जी के बाद से घटा है। चीन की दूरसंचार कंपनियों ने पिछले साल नवंबर में 5जी की वाणिज्यिक पेशकश शुरू की। पूरे देश में 50 शहरों में लाइसेंस मिलने के महज 5 महीने बाद इस सेवा की पेशकश कर दी गई थी। दूरसंचार उपकरण निर्माताओं का कहना है कि भारत में विभिन्न समस्याओं के साथ, जियो स्पेक्ट्रम मिलने के 6 महीने के अंदर दिल्ली जैसे शहर के सीबीडी में 5जी सेवा शुरू कर सकती है।
जब बात राष्ट्रीय नेटवर्क की हो तो विश्लेषकों का मानना है कि स्पेक्ट्रम मिलने के बाद इसमें 18-24 महीने लग सकते हैं।
हालांकि कंपनी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जियो 6 महीने के अंदर पूरे भारत में नेटवर्क शुरू करने को तैयार है।
अंबानी की योजना को लेकर आशंकित लोगों का कहना है कि जियो को अपना 4जी नेटवर्क पेश करने में करीब चार साल लगे। दूरसंचार विश्लेषक महेश उप्पल ने कहा, ‘मैं नहीं मानता कि 5जी की पेशकश 4जी के तौर पर व्यापक होगी, क्योंकि यह उद्योग या खास क्षेत्रों के लिए सीमित होगी। इसके अलावा, इसे लेकर कई अनिश्चितताएं भी हैं। लेकिन जियो के लिए कुछ इलाकों में 5जी पेश करना संभव हो सकता है।’
जियो ने इस तरह की आशंकाओं को खारिज किया है। कंपनी के साथ काम करने वाले लोगों का कहना है कि जियो पूरे भारत में नेटवर्क उपस्थिति वाली पहली कंपनी बनना चाहेगी।
कंपनी 5जी स्टैक्स (रेडियो जैसे नेटवर्क में विभिन्न कार्यों के लिए जरूरी सॉफ्टवेयर) पहले ही विकसित कर चुकी है और उसने इसे पेश करने की योजना बनाई है। कंपनी ने अपने स्वयं के 5जी रेडियोज तैयार किए हैं और वह भारत या देश से बाहर इनके निर्माण के लिए विक्रेताओं की पहचान करने की संभावना तलाश रही है। वित्त पोषण के संदर्भ में, जेपी मॉर्गन का मानना है कि जियो ओ-आरएएन आर्कीटेक्चर के जरिये अगले पांच साल में पूंजीगत और परिचालन खर्च में 8 अरब डॉलर की बचत करने में सक्षम होगी।
रिलायंस में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए अरामको सौदे से 15 अरब डॉलर हासिल होंगे। चंूकि कंपनी का बहीखाते अभी कर्जमुक्त है, लेकिन जरूरत पडने पर रिलायंस और कर्ज जुटा सकती है।