दिल्ली-एनसीआर में लक्जरी मकानों (1.5 करोड़ रुपये से अधिक कीमत) की मांग तेजी से बढ़ रही है। बीते 5 साल में इन मकानों की हिस्सेदारी कई गुना बढ़ चुकी है। दिल्ली-एनसीआर में इस साल की पहली छमाही में लक्जरी मकानों की हिस्सेदारी आधे के करीब पहुंच गई है। जबकि किफायती मकानों की हिस्सेदारी घटकर एक चौथाई से भी कम रह गई है। मकानों की नई आपूर्ति में लक्जरी मकानों की हिस्सेदारी तो बढ़कर 77 फीसदी हो गई है। पांच साल पहले यह महज 12 फीसदी थी। इस दौरान किफायती मकानों की आपूर्ति में हिस्सेदारी 47 फीसदी से घटकर 11 फीसदी रह गई है।
संपत्ति सलाहकार फर्म एनारॉक के मुताबिक इस साल की पहली छमाही में 32,200 मकान बिके। इनमें लक्जरी मकानों की हिस्सेदारी 45 फीसदी रही। पहली छमाही में करीब 14,630 लक्जरी मकान बिके। गुरुग्राम में सबसे अधिक बिके 17,570 मकानों में लक्जरी मकानों की हिस्सेदारी भी सबसे अधिक 59 फीसदी रही। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बिके 8,423 मकानों में लक्जरी मकानों की हिस्सेदारी 42 फीसदी दर्ज की गई। बाकी एनसीआर में 6,205 मकानों में लक्जरी मकानों की हिस्सेदारी 12 फीसदी रही। बीते 5 साल में लक्जरी मकानों की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ी है। एनारॉक के अनुसार 2019 में एनसीआर में बिके कुल 46,920 मकानों में लक्जरी मकानों की हिस्सेदारी 1,580 मकानों के साथ महज 3 फीसदी थी, जो अब बढ़कर 45 फीसदी हो चुकी है।
लक्जरी मकानों की हिस्सेदारी बढ़ने के साथ ही किफायती मकानों (40 लाख रुपये से कम कीमत) की हिस्सेदारी में बड़ी गिरावट आई है। एनारॉक के मुताबिक इस साल पहली छमाही में बिके कुल 32,200 मकानों में 24 फीसदी हिस्सेदारी के 7,790 मकान किफायती मकान थे। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में किफायती मकानों की हिस्सेदारी सबसे कम है। पहली छमाही में इन दोनों मार्केट में कुल बिके 8,425 मकान में किफायती मकानों की हिस्सेदारी 13 फीसदी थी। गुरुग्राम में यह हिस्सेदारी 27 फीसदी और बाकी एनसीआर में 31 फीसदी रही। 5 साल पहले किफायती मकानों की हिस्सेदारी काफी होती थी।
एनारॉक के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019 में बिके 46,920 मकानों में 49 फीसदी मकान किफायती सेगमेंट के थे। एनारॉक समूह के चेयरमैन अनुज पुरी कहते हैं कि हाल वर्षों में सभी एनसीआर शहरों में सबसे सक्रिय गुरुग्राम रहा। इस साल पहली छमाही में यहां 17,570 मकान बिके। इनमें 59 फीसदी मकान लक्जरी सेगमेंट के थे, जबकि किफायती मकानों की हिस्सेदारी 27 फीसदी रही। 2019 में किफायती मकानों की हिस्सेदारी 43 फीसदी और लक्जरी मकानों की हिस्सेदारी महज 4 फीसदी थी।