प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
ग्लोबल आर्थिक उथल-पुथल और अनिश्चितताओं के बावजूद भारत का कमर्शियल रियल एस्टेट मार्केट तेजी की राह पर है। प्रमुख महानगरों में ऑफिस किराये में अच्छी बढ़ोतरी देखी जा रही है क्योंकि व्यवसाय पूरी तरह से ऑफिस लाइफ में वापसी कर रहे हैं। ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (GCC) ऑफिस की मांग बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।
इस साल मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन(MMR) में ऑफिस किराये में सबसे अधिक बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। संपत्ति सलाहकार फर्म एनारॉक समूह के मुताबिक 2022-2025 अवधि के दौरान MMR में ऑफिस किराये में सबसे अधिक 28 फीसदी इजाफा हुआ है। 2022 में यहां ऑफिस किराया 131 रुपये प्रति वर्ग फुट प्रति माह था, जो 2025 में बढ़कर 168 रुपये प्रति वर्ग फुट प्रति माह हो गया है। एनारॉक ग्रुप के एमडी (कमर्शियल लीजिंग एंड एडवाइजरी) पीयूष जैन कहते हैं, “विशेष रूप से अमेरिका, जो काफी हद तक व्यावसायिक नीति अनिश्चितता देख रहा है ऐसे में भारत अन्य सभी देशों से आगे हैं। भारत की कुल ऑफिस स्पेस लीजिंग में 45 फीसदी हिस्सेदारी है।
मुंबई में यूएस-आधारित बैंक बीएफएसआई लीजिंग में 48 फीसदी तक का योगदान देते हैं। अमेरिकी कंपनियों की प्राइम इंडियन ग्रेड ए ऑफिस स्पेस के लिए चाहत कम नहीं हुई है। 2022 से 2025 तक महामारी के बाद के प्रीमियम ऑफिस स्पेस की मांग विशेष रूप से MMR, दिल्ली NCR और हैदराबाद जैसे शहरों में लगातार बढ़ रही है। MMR भारत में सबसे महंगा कमर्शियल मार्केट बनकर उभरा है, जहां किराये का मूल्य 28 फीसदी बढ़ गया है। इस मार्केट में 2022 में किराया 131 रुपये था, जो 2025 में बढ़कर 168 रुपये प्रति वर्ग फुट प्रति महीना हो गया। बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी), लोअर परेल और अंधेरी ईस्ट जैसे प्रमुख सूक्ष्म बाजार वित्त, आईटी/आईटीईएस और स्टार्टअप क्षेत्रों से मांग मजबूत बनी हुई है।
दिल्ली-NCR में ऑफिस किराये में अच्छी खासी बढ़ोतरी हुई है। एनारॉक के मुताबिक दिल्ली-NCR के ऑफिस मार्केट में 2022 की तुलना में किराये में 20 फीसदी इजाफा हुआ है। 2022 में ऑफिस किराया 92 रुपये था, 2025 में यह बढ़कर 110 प्रति वर्ग फुट प्रति महीना हो गया है। दिल्ली-NCR में ऑफिस किराया बढ़ने की मुख्य वजह बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का विकास और नोएडा व गुरुग्राम में ऑफिस की बढ़ती मांग है। टेक सिटी बेंगलूरु में ऑफिस किराये में 15.8 फीसदी, पुणे और चेन्नई में क्रमशः 11.1 फीसदी और 9.1 फीसदी किराये की बढ़ोतरी दर्ज की गई। हैदराबाद में भी 2022 से 2025 के बीच ऑफिस किराया 58 रुपये से बढ़कर 72 रुपये प्रति वर्ग फुट प्रति महीना हो गया है।
कोरोना महामारी के कारण थोड़े समय के ठहराव के बाद भारत का कमर्शियल रियल एस्टेट मार्केट तेजी से ठीक होने से एक नए विकास चरण में प्रवेश कर गया है। कंपनियां प्रमुख व्यावसायिक जिलों में अपनी उपस्थिति को दोगुना कर रही हैं। इसका परिणाम ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (GCC), टेक दिग्गजों और BFSI लीडर के मिश्रण से प्रेरित ग्रेड A ऑफिस स्पेस की मांग में उछाल देखने को मिला है। जैन कहते हैं, “GCC भारत के ऑफिस लीजिंग परिदृश्य में सबसे बड़ा परिवर्तन चालक बन गए हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “हमारे डेटा से पता चलता है कि 2025 की अकेली पहली तिमाही में GCC ने 83.5 लाख वर्ग फुट की चौकाने वाली लीजिंग दी। जिसमें दिल्ली-NCR ने उस मांग का लगभग 23 फीसदी हिस्सा हासिल किया। साथ ही पिछले दो वर्षों में शीर्ष 7 शहरों में सभी ऑफिस लीजिंग का 37 फीसदी से अधिक हिस्सा लिया है, जो देश के महानगरीय व्यावसायिक पारिस्थितिकी तंत्र के लिए दीर्घकालिक प्रतिबद्धता का संकेत देता है।”
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देश में कमर्शियल ऑफिस किराये में लगातार बढ़ोतरी से रेंटल यील्ड में सुधार हो रहा है खासतौर पर हैदराबाद व दिल्ली NCR जैसे शहरों में, जहां पूंजी मूल्य प्रतिस्पर्धी बने हुए हैं। REITs के बढ़ते चलन और ऑफिस मांग के महामारी से पहले के स्तर पर वापस आने के साथ वैश्विक चुनौतियों के बावजूद कमर्शियल क्षेत्र में निवेशकों की भावना आशावादी बनी हुई है।
पीयूष जैन कहते हैं कि हाइब्रिड वर्क मॉडल परिपक्व हो गया है ऑफिस से दूर जाने के रूप में नहीं, बल्कि भौतिक और लचीले स्थानों के रणनीतिक मिश्रण के रूप में। इस विकास ने विशेष रूप से टेक पार्क, को-वर्किंग हब और SEZ में एक मजबूत लीजिंग पाइपलाइन सुनिश्चित की है। जैसे-जैसे प्रमुख माइक्रो-मार्केट में मांग आपूर्ति से आगे निकल रही है और भारत वैश्विक आउटसोर्सिंग पावरहाउस के रूप में अपनी स्थिति को बढ़ा रहा है। जिससे ऑफिस किराया लगातार बढ़ता रहेगा।