Housing supply: बिल्डर बीते कुछ सालों से लक्जरी मकानों पर जोर दे रहे हैं। जिससे सस्ते और मध्यम आय वर्ग (एक करोड़ या इससे कम कीमत वाले मकान) के मकानों की आपूर्ति पर संकट मंडराने लगा है क्योंकि देश के प्रमुख 9 शहरों में इन मकानों की आपूर्ति में बीते दो साल में तेज गिरावट आई है। इस मामले में एनसीआर, मुंबई और हैदराबाद जैसे प्रमुख रियल एस्टेट बाजार का प्रदर्शन सबसे बुरा रहा है। एक करोड़ या कम कीमत के मकानों की आपूर्ति घटने के बीच एक करोड़ से अधिक कीमत के मकानों की आपूर्ति पिछले दो सालों में टॉप 9 शहरों में 48 फीसदी बढ़ी है। बैंगलूरु में इसमें 187 फीसदी, चेन्नई में 127 फीसदी, कोलकाता में 58 फीसदी, नवी मुंबई में 70 फीसदी, ठाणे में 53 फीसदी, पुणे में 52 फीसदी और दिल्ली-एनसीआर में 192 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। हालांकि हैदराबाद और मुंबई में पिछले दो सालों में इसमें क्रमशः 11 फीसदी और 14 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
एक करोड़ या कम कीमत के मकानों की आपूर्ति में कितनी आई कमी?
रियल एस्टेट डेटा एनालिटिक्स फर्म प्रॉपइक्विटी की रिपोर्ट के अनुसार बिल्डर लक्ज़री हाउसिंग पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। जिससे पिछले दो सालों के दौरान प्रमुख 9 शहरों में किफायती और मध्यम-आय वर्ग में यानी एक करोड़ रुपये या कम कीमत के मकानों की आपूर्ति में 36 फीसदी गिरावट आई है। इस कीमत के मकानों की 2022 में आपूर्ति 3,10,216 थी, जो 2024 में गिरकर 1,98,926 रह गई। 2023 में इन मकानों की आपूर्ति 2,83,323 थी। जाहिर है एक साल में इन मकानों की आपूर्ति 30 फीसदी गिर गई है। प्रमुख 9 शहरों में बेंगलूरु, चेन्नई, हैदराबाद, मुंबई, पुणे, ठाणे, नवी मुंबई, कोलकाता और एनसीआर शामिल हैं।
किस शहर में सबसे ज्यादा घटी मकानों की आपूर्ति?
प्रॉपइक्विटी की इस रिपोर्ट के अुनसार हैदराबाद में पिछले दो साल में 1 करोड़ या कम कीमत के मकानों की आपूर्ति सबसे ज्यादा 69 फीसदी गिरकर 13,238 रह गई है। इसी अवधि में मुंबई में इस कीमत के मकानों की आपूर्ति 60 फीसदी घटकर 6,062 और एनसीआर में 45 फीसदी घटकर 2672 रह गई। बैंगलूरु में दो सालों में एक करोड़ या इससे कम कीमत के मकानों की आपूर्ति में 33 फीसदी, चेन्नई में 13 फीसदी, नवी मुंबई में 6 फीसदी, ठाणे में 36 फीसदी, पुणे में 32 फीसदी गिरावट दर्ज की गई। हालांकि इन 9 प्रमुख शहरों में कोलकाता एक मात्र ऐसा शहर रहा जहां बीते दो साल में एक करोड़ या कम कीमत वाले मकानों की आपूर्ति में इजाफा हुआ। इस शहर में इन मकानों की आपूर्ति 7 फीसदी बढ़ गई। हालांकि एक साल में आपूर्ति में 41 फीसदी कमी देखी गई।
5 साल में एक करोड़ या कम कीमत के 1.5 करोड़ मकानों की होगी जरूरत
प्रॉपइक्विटी के संस्थापक एवं सीईओ समीर जसूजा ने कहा कि आज भारत की 8 फीसदी आबादी टियर 1 शहरों रहती है और अगले 5 सालों में यह संख्या तेजी से बढ़ेगी क्योंकि बड़ी संख्या में लोग नौकरियों की तलाश में इन शहरों की ओर रूख कर रहे हैं। ऐसे में अगर सरकार किफायती और मध्यम वर्ग के मकानों की घटती आपूर्ति की समस्या पर ध्यान नहीं देती तो इस श्रेणी में आपूर्ति की कमी से ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसा संकट आ सकता है। न्यूक्लियर परिवारों की बढ़ती संख्या और बढ़ते माइग्रेशन को देखते हुए अगले पांच सालों में इन शहरों में 1.5 करोड़ मकानों की जरूरत होने का अनुमान है। इन मकानों की आपूर्ति की समस्या को हल करने के लिए सरकार को कर में छूट और सब्सिडी के ज़रिए बिल्डर को राहत देनी होगी ताकि किफायती और मध्यम आय वाले हाउसिंग के विकल्पों को व्यवहारिक बनाया जा सके। साथ ही घर के खरीददारों को भी होम लोन में छूट और स्टाम्प ड्यूटी में कटौती के फायदे देने की जरूरत है।