बेंगलूरु की बायोटेक फर्म बायोकॉन ने वित्त वर्ष 23 की तीसरी तिमाही में एबिटा में 35 प्रतिशत वृद्धि और राजस्व में 36 प्रतिशत का इजाफा दर्ज किया है। इसका आरऐंडडी व्यय 144 फीसदी बढ़कर 337 करोड़ रुपये हो गया है।
तिमाही परिणामों के बाद सोहिनी दास के साथ एक बातचीत में बायोकॉन और बायोकॉन बायोलॉजिक्स की कार्यकारी चेयरपर्सन किरण मजूमदार-शॉ ने वायट्रिस के कारोबार के लिए विकास योजनाओं तथा इस बात पर चर्चा की कि वह आरऐंडडी का व्यय राजस्व के 12 प्रतिशत स्तर पर क्यों रखना चाहती है। संपादित अंश:
वायट्रिस पोर्टफोलियो के लिए आपकी भौगोलिक विस्तार योजना क्या है?
वायट्रिस का अधिग्रहण हमारे कारोबार के लिए बड़े बदलाव वाला बिंदु है और यह बायोकॉन के लिए एक परिवर्तनकारी अधिग्रहण होने वाला है। हम दुनिया भर में पूरी तरह से एकीकृत बायोसिमिलर कंपनियों में से एक होंगे। हम 80-20 नियम या इस बात पर विचार कर रहे हैं कि कौन से ऐसे सबसे महत्त्वपूर्ण देश हैं, जहां से व्यापार आ रहा है। हमारे लिए सबसे महत्त्वपूर्ण बाजार उत्तरी अमेरिका या अमेरिका है और फिर यूरोप एक बहुत महत्त्वपूर्ण बाजार है। हम यूरोप में फ्रांस क्लस्टर, जर्मन क्लस्टर, स्पेन-इटली क्लस्टर और ब्रिटेन-नॉर्डिक क्लस्टर जैसे प्रमुख समूहों को लक्ष्य बना रहे हैं।
यूरोप में प्रत्येक भौगोलिक क्षेत्र में जटिल विनियामकीय जरूरत रहती है। हम यूरोप और अमेरिका में बाजार हिस्सेदारी में इजाफा देखने लगे हैं। इसके अलावा एशिया-प्रशांत के साथ ही ब्राजील और उत्तरी अफ्रीका हमारे लिए महत्त्वपूर्ण बाजार हैं। बायोकॉन बायोलॉजिक्स में यह हमारे लिए अधिक वृद्धि वाला चरण है। हमने इस तिमाही में पहली बार राजस्व में 1,500 करोड़ का आंकड़ा पार किया है। हम इस साल (चौथी तिमाही के लिए) बायोकॉन बायोलॉजिक्स के मामले में 2,000 करोड़ रुपये के स्तर से आगे निकलेंगे और एक अरब डॉलर की राह पर होंगे।
वित्त वर्ष 24 में वायट्रिस पोर्टफोलियो से आपको कितने राजस्व के योगदान की उम्मीद है?
हमें आने वाले वर्ष में उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद है। हमने संकेत दिया था कि हम वायट्रिस पर आधारित लगभग 1.5 अरब डॉलर की बिक्री के कारोबार की डिलिवरी करेंगे। अगर हम केवल वायट्रिस के विलय वाले कारोबार पर ही नजर डालें, तो हम पहले ही एक अरब डॉलर की आधार रेखा पर हैं और वित्त वर्ष 24 के अंत तक का पूर्वानुमान 1.5 अरब डॉला था। रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले जताए गए उस पूर्वानुमान में कुछ चुनौतियां हैं। पूंजी की लागत अब की तुलना में बहुत कम थी। यूरो-डॉलर का अनुपात प्रभावित हुआ है। हमारे कारोबार का बड़ा हिस्सा यूरो जोन से आता है।
इस तिमाही में आपने आठ नए उभरते बाजारों (ईएम) प्रवेश किया है। उभरते बाजार क्या भूमिका निभाएंगे?
वायट्रिस पोर्टफोलियो के लिए कुल कारोबार का लगभग 75 प्रतिशत भाग अमेरिका और यूरोपीय क्षेत्र से आता है और शेष ईएम से आता है। अगर हम इसमें बायोकॉन और भारत का कारोबार शामिल करते हैं, तो इसमें लगभग 70-30 का विभाजन रहता है, जिसमें से 30 प्रतिशत हिस्सा भारत सहित दुनिया के बाकी बाजारों से आता है। लैटिन अमेरिका और उत्तरी अफ्रीका आकर्षक बाजार हैं।
इस तिमाही में आरऐंडडी व्यय में 144 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। आरऐंडडी व्यय का पूर्वानुमान क्या है?
इस तिमाही में हमने आरऐंडडी व्यय में भारी उछाल देखी है। यह समेकित राजस्व का लगभग 16 प्रतिशत और बायोकॉन बायोलॉजिक्स के राजस्व का 19 प्रतिशत भाग है। यह वह अनुपात नहीं है जिससे हम संतुष्ट हों। हम राजस्व के 12 प्रतिशत स्तर से अधिक संतुष्ट हैं। इस तिमाही में 1,500 करोड़ के राजस्व में यह राजस्व का लगभग 19 प्रतिशत है, लेकिन अगर हम अगली तिमाही में 2,000 करोड़ रुपये के राजस्व तक पहुंच जाते हैं, तो यह घटकर लगभग 14 प्रतिशत रह जाता है। इसलिए हम इसे और अधिक 12 प्रतिशत अंक की तरफ ले जाना चाहेंगे।
वर्ष 2023-24 के लिए पूंजीगत व्यय कितना है?
बड़े आकार का अधिकांश पूंजीगत व्यय पहले ही कर लिया गया है। यह हमारे लिए बहुत अच्छी बात है। अगर कोई अनुबंध वाले विनिर्माताओं पर निर्भर रहता है, तो वह प्रतिस्पर्धी नहीं होता है। हम बहुत प्रतिस्पर्धी हो गए हैं। सबसे ज्यादा निवेश पिछले 10 साल में किए गए हैं।