वर्ष 1970 के दशक में चेन्नई के कृषि विशेषज्ञ और फार्मासिस्ट चिन्नी कृष्णन ने भारतीय पर्सनल केयर सेगमेंट में सैशे क्रांति की शुरुआत की थी। 2024 में उनके बेटे सी के कुमारवेल भारत की सबसे बड़ी सैलून श्रृंखला ‘नेचुरल्स सैलून एंड स्पा’ के जरिये फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) सेगमेंट में एक और परिवर्तनकारी मॉडल के साथ धूम मचाने को तैयार हैं।
अगर कुमारवेल की योजनाएं सफल रहती हैं तो एफएमसीजी में उनका प्रवेश फरवरी में नए उत्पादों के एक अनूठे रीफिलिंग मॉडल के माध्यम से होगा। इसके जरिये ग्राहक नजदीकी नेचुरल्स सैलून से शैम्पू, कंडीशनर या अन्य व्यक्तिगत देखभाल संबंधी उत्पादों को रीफिल करा सकेंगे।
इस मॉडल का फायदा यह है कि पूरी पैकिंग और ढुलाई लागत समाप्त हो जाएगी और ग्राहक को बाजार में उत्पाद की मौजूदा कीमत का सिर्फ 40 प्रतिशत भुगतान करना होगा। यह पेशकश रिलायंस रिटेल द्वारा ग्रूम इंडिया सैलून्स एंड स्पा (जो नेचुरल्स का मालिक है) के साथ सैलून श्रृंखला में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने के सौदे से पीछे हटने के लगभग एक वर्ष बाद की जा रही है।
कुमारवेल ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हम रीफिल वाली सौंदर्य अवधारणा पर काम कर रहे हैं। हमारे पास 800 आउटलेट हैं। ये सभी आउटलेट रीफिल स्टेशन होंगे और ग्राहक बोतल में 100-200 मिलीलीटर की छोटी मात्रा भरवा सकते हैं। आपको पैकेजिंग के लिए रकम चुकाने की जरूरत नहीं होगी। उत्पाद की लागत उसकी मौजूदा कीमत के 40 प्रतिशत भी नहीं होगी क्योंकि लागत का ज्यादातर हिस्सा पैकेजिंग और परिवहन से जुड़ा होता है।’
कंपनी स्किनकेयर, कोरियन ब्यूटी, आयुर्वेद और ऑर्गेनिक समेत कई क्षेत्रों में अपनी मौजूदगी कायम करने की योजना बना रही है। इनमें से शैम्पू, कंडीशनर, बॉडी वॉश, हैंड वॉश और बॉडी मॉइश्चराइज़र जैसे रीफिल करने योग्य उत्पाद प्रारंभिक चरण में रीफिल के लिए उपलब्ध होंगे।
उन्होंने कहा, ‘हम डी2सी ब्रांडों की पेशकश करने जा रहे हैं। । हमारे पास पहले से ही केवल हमारी सदस्यता के तहत 1 करोड़ ग्राहक हैं। हम भारतीय ग्राहकों की जरूरतों को समझते हैं।’ नेचुरल्स ने अपने नए कारोबार की अधिक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए स्मृति मंधाना और नटराजन जैसे क्रिकेटरों को अपना एम्बेसडर बनाया है।
रिलायंस डील टूटने के बाद विस्तार के लिए फंड जुटाने की योजना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘हम मार्च तक एसएमई एक्सचेंज में उतरने की योजना बना रहे हैं और फिर अगले साल के अंत तक आईपीओ लाएंगे। एसएमई एक्सचेंज के जरिये हम करीब 70-80 करोड़ रुपये जुटाने की संभावना तलाश रहे हैं।’