केंद्र इस्पात, पर्यटन, शहरी विकास, स्वास्थ्य जैसे उन गैर-रणनीतिक क्षेत्रों में निजीकरण की प्रक्रिया को बदलने जा रहा है, जिन्हें आत्मनिर्भर भारत के लिए नई सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (पीएसई) नीति के तहत चिह्नित किया गया है।
अधिकारी ने कहा कि विनिवेश के मसले पर कैबिनेट सचिव राजीव गौबा की अगुआई वाले सचिवों के मुख्य समूह (सीजीडी) ने गैर रणनीतिक क्षेत्रों में पीएसई के निजीकरण की प्रक्रिया को मंजूरी दे दी है। अब इस प्रक्रिया में सार्वजनिक उद्यम विभाग (डीपीई) गैर-रणनीतिक क्षेत्रों का परीक्षण करेगा और निजीकरण के लिए इन क्षेत्रों में पीएसई को चिह्नित करेगा। पीएसई नीति के मुताबिक गैर-रणनीतिक क्षेत्रों में व्यवहार्य होने पर पीएसयू के निजीकरण पर विचार किया जाएगा अन्यथा उन्हें बंद किया जाएगा। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘गैर-रणनीतिक क्षेत्रों में नीतिगत आदेश है कि पीएसयू का निजीकरण किया जाए या उन्हें बंद किया जाए। इन क्षेत्रों का परीक्षण डीपीई करेगा।’ उन्होंने कहा कि यह आदेश डीपीई को दिया गया है।
डीपीई क्षेत्रों के आकलन के बाद निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) को गैर-रणनीतिक क्षेत्रों के पीएसयू के नामों की सिफारिश करेगा। यह मुहिम नीति आयोग द्वारा रणनीतिक क्षेत्रों के लिए अपनाई जाने वाली मुहिम के समान होगी।
डीपीई द्वारा निजीकरण या बंदी के लिए पीएसयू चिह्नित किए जाने के बाद दीपम उन पीएसयू के लिए कैबिनेट की मंजूरी लेगा। अधिकारी ने कहा, ‘सचिवों के मुख्य समूह ने फैसला लिया है कि निजीकरण के लिए कैबिनेट की मंजूरी लेने का काम दीपम का होगा।’ इससे पहले रणनीतिक विनिवेश के लिए कैबिनेट की मंजूरी लेने का काम डीपीई को सौंपने का विचार किया जा रहा था। नीति आयोग ने भी सुझाव दिया था कि इस नीतिगत थिंक टैंक द्वारा निजीकरण के लिए पीएसयू चिह्नित किए जाने के बाद उसे सीधे कैबिनेट की मंजूरी लेने का अधिकार दिया जाए। अधिकारी ने कहा, ‘सचिवों के मुख्य समूह ने मामले का समाधान कर दिया है और ये अधिकार दीपम को देने का फैसला किया है।’ आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति से पीएसई को मंजूरी के बाद लेनदेन का समय और क्रम दीपम तय करेगा।
