छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में टाटा की इस्पात संयंत्र परियोजना के लिए भूमि आवंटन का विवाद अभी थम भी नहीं पाया है कि पर्यावरण के हिमायती इस संयंत्र के निर्माण के लिए इंद्रावती नदी से पानी की आपूर्ति के राज्य सरकार के कदम के खिलाफ कड़ी नाराजगी जताने लगे हैं।
‘बस्तर सोसायटी फॉर कंजरर्वेशन ऑफ नेचर’ के अध्यक्ष शरद वर्मा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘टाटा समूह के प्रस्तावित इस्पात संयंत्र के लिए बस्तर की जीवनरेखा समझी जाने वाली इंद्रावती नदी से पानी दिए जाने के हर कदम का हम मजबूती से विरोध करेंगे।’ पिछले दो दशकों से इंद्रावती की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ रहे वर्मा ने बताया कि नदी का दायरा उड़ीसा की तरफ बढ़ रहा है और यह बस्तर क्षेत्र में प्रवेश करने के बजाय जोरा नुल्ला में मिलती जा रही है।
उड़ीसा और छत्तीसगढ़ दोनों राज्य इंद्रावती के जल की साझेदारी को लेकर आमने-सामने आ गए हैं। वर्मा ने कहा, ‘अब इंद्रावती में जल की उपलब्धता मानसून पर निर्भर रह गई है क्योंकि अधिकांश पानी राज्य की सीमा के पास जोरा नुल्ला में चला जाता है और फिर वहां से यह पानी उड़ीसा में जाता है।’ वर्मा ने कहा कि नदी में पहले से ही पानी कम है। ऐसे में परियोजना को पानी देना ठीक नहीं है।