कंपनियां कर्मचारियों को चार दिवसीय सप्ताह भी प्रदान कर सकेंगी, क्योंकि श्रम मंत्रालय श्रम संहिता के तहत लाए जाने वाले अंतिम नियमों में इस दृष्टि से लचीलापन प्रदान करेगा।
श्रम सचिव अपूर्व चंद्र ने संवाददाताओं को बताया कि हमने कामकाजी दिनों में लचीलापन देने का प्रयास किया है। यह बात पूरी तरह से संभव है कि कुछ नियोक्ता पांच दिन का सप्ताह प्रदान करना चाह सकते हैं। हमें ऐसे नियोक्ता भी मिले हैं जिन्होंने कहा है कि वे कामकाज का चार दिनों का सप्ताह प्रदान करने के उत्सुक हैं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि हालांकि काम का समय 48 घंटे से आगे नहीं बढ़ सकता है। उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि चार दिन का सप्ताह देने वालों को इसके बाद लगातार तीन छुट्टियां देनी होंगी।
उन्होंने कहा कि इस तरह नियोक्ताओं के लिए चार, पांच या छह दिवसीय सप्ताह देने का लचीलापन होगा। हालांकि नियोक्ताओं और कर्मचारियों के बीच चार दिवसीय सप्ताह को लेकर एक समझौता करना होगा। इसे कर्मचारियों पर थोपा नहीं जा सकता है।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यूनियनें इन नियमों के खिलाफ तभी हैं, जब नियोक्ता चार दिवसीय सप्ताह के बाद लगातार तीन दिन की छुट्टी नहीं देता है। संसद द्वारा सितंबर में चार श्रम संहिता पारित की गई थीं। मंत्रालय दिसंबर में इन नियमों का पहला मसौदा लेकर आया था और जनवरी में टीका-टिप्पणियां प्राप्त की थी।
श्रम सचिव ने बताया कि हम इन नियमों को अंतिम रूप दे रहे हैं। हमने राज्यों के साथ भी बातचीत की है। अधिकांश राज्य इन नियमों का ढांचा तैयार करने की प्रक्रिया में हैं। उत्तर प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश जैसे कुछ बड़े राज्य 10 फरवरी तक अपने नियमों का मसौदा लेकर आएंगे। राज्य के साथ आने वाले हैं। जम्मू और कश्मीर ने पहले ही इसका प्रकाशन कर दिया है।
उन्होंने यह भी खुलासा किया कि समय से सबंधित मसौदा नियमों पर त्रिपक्षीय वार्ता के दौरान चिंताओं को उठाया गया है। व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की दशा पर संहिता के मसौदा नियमों में किसी संस्थान में एक दिन के दौरान 12 घंटे का विस्तारित ओवर टाइम प्रस्तावित किया गया है, जो मौजूदाअ 10.5 घंटे से अधिक है। विस्तारित ओवर टाइम दोपहर के भोजन और अन्य विराम की अवधि से अलग समय को सूचित करता है।
श्रम सचिव ने कहा हमने इसमें (नियमों को अंतिम रूप देने के दौरान) कुछ बदलाव करने का प्रयास किया है।
चंद्र ने बताया कि कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में प्रति वर्ष 2,50,000 रुपये से अधिक का योगदान देने वाले लोगों की संख्या कुल 6.5 करोड़ ग्राहकों में से 1,23,000 है, जो बहुत कम संख्या है। बजट इन लोगों को कर के दायरे में लाया है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय ज्यादा हैसियत वाले लोगों को कल्याणकारी सुविधा का दुरुपयोग करने और निश्चित व्याज प्रतिफल के तौर पर गलत तरीके से कर मुक्त आय अर्जित करने से रोकेगा।
श्रम सचिव ने कहा कि श्रम कार्यालय द्वारा प्रवासी श्रमिकों, घरेलू श्रमिकों, परिवहन श्रमिकों और पेशेवर श्रमिकों पर चार प्रमुख सर्वेक्षण किए गए हैं।