दक्षिण कोरियाई इस्पात कंपनी पोस्को ने कहा है कि वह वैश्विक वित्तीय संकट के बावजूद देश के उड़ीसा में अपनी परियोजना के साथ आगे बढ़ेगी।
पोस्को इंडिया के निदेशक जी डब्ल्यू सुंग ने बंदरगाह शहर पारादीप के पास कंपनी की प्रस्तावित परियोजना को लेकर हुई समीक्षा बैठक के बाद यहां मीडिया को बताया, ‘अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संकट से उड़ीसा में पोस्को की परियोजना प्रभावित नहीं होगी।’
उन्होंने कहा कि उड़ीसा में 51,000 करोड़ रुपये की परियोजना पर वैश्विक संकट बाधा नहीं बनेगा। सुंग ने कहा कि उनके पास इस परियोजना पर आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त समय है। हालांकि इस परियोजना में कुछ वर्ष का विलंब हो चुका है। कंपनी को वन भूमि डायवर्जन प्लान के पहले चरण की मंजूरी मिल गई है।
एक वरिष्ठ अधिकारी नेकहा कि पहले चरण की शर्तों को पूरा किए जाने के बाद प्रस्तावित परियोजना को दूसरे चरण की मंजूरी मिल जाएगी। उनका कहना है कि कंपनी शुरुआती मंजूरी के साथ ही परियोजना को आगे बढ़ा सकती है।
सर्वोच्च न्यायालय ने पहले डायवर्जन प्रस्ताव को अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है। पारादीप के पास पोस्को परियोजना के लिए 4,004 एकड़ की कुल भूमि में से 2,958 एकड़ भूमि वन भूमि के तौर पर चिन्हित की गई है जिसे केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी की जरूरत है।
मंत्रालय द्वारा तय की गई शर्तों के मुताबिक कंपनी ने कम्पेनसेटरी फॉरेस्ट्री प्रोग्राम पर जोर दिया है। एक चार-सदस्यीय समिति केंद्र द्वारा तय की गई शर्तों को पूरा किए जाने के लिए कंपनी की गतिविधियों पर नजर रखेगी।
सूत्रों ने बताया कि कंपनी को कम्पेनसेटरी फॉरेस्टेशन गतिविधियों से जुड़े कार्य के लिए सक्षम बनाने के प्रयास में राज्य सरकार ने इस उद्देश्य के लिए 1253 हेक्टेयर भूमि की पहचान की है। उड़ीसा के इस्पात एवं खदान मंत्री प्रदीप अमात ने कहा, ‘कंपनी जगतसिंहपुर, कटक और जाजपुर जिलों में प्रतिपूरक वनीकरण गतिविधियां चलाएगी।’
उन्होंने कहा कि कुल 1,269 हेक्टेयर भूमि को इस कार्यक्रम के दायरे में लाया जाएगा॥सुंग ने उड़ीसा के मुख्य सचिव से मुलाकात के बाद मीडिया को बताया, ‘हम उड़ीसा सरकार के सक्रिय सहयोग से इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और हमें उम्मीद है कि कम्पेनसेटरी फॉरेस्ट्री गतिविधियों को शेयरधारकों की भी मदद मिलेगी।’