एक ओर उपभोक्ता कंपनियां ग्रामीण इलाकों में मांग में कमी का दंश झेल रही हैं, दूसरी ओर परेफेटी वैन मेल इंडिया पर इसका असर नहीं दिख रहा है। इसके विपरीत लॉकडाउन के बाद से उसकी मांग में तेज इजाफा ही देखा जा रहा है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि इसके राजस्व का एक बड़ा हिस्सा 1 रुपये की मूल्य बिंदु से आता है।
कंपनी के प्रबंध निदेशक राजेश रामकृष्णन ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘वापसी भी काफी तेजी से हुई है क्योंकि हम खुद को काफी किफायती मानते हैं। ऐसा नहीं है कि कोई महिला अपने बच्चे को सिर्फ एक रुपया इसलिए नहीं देगी क्योंकि आर्थिक मंदी का संकट है।’
साथ ही उन्होंने कहा, ‘शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों से मांग जारी है और हम अपनी बिक्री में कोई खास अंतर नहीं देखते हैं। अगर मैं कुल बिक्री की बात करूं तो यह शहरी और गांव दोनों में एक जैसा ही है।’
परफेटी वैन मेल इंडिया एल्पेनलिबे, सेंटर फ्रेश और हैंपी डेंट जैसी टॉफियां बनाती हैं। यह तेजी से वृद्धि कर रही है और अब 25 फीसदी से अधिक बाजार की हिस्सेदारी के साथ देश की नंबर एक कंपनी बन गई है। पूरे देश में इसकी पहुंच 50 लाख दुकानों तक है और सीधी पहुंच 10 लाख दुकानों तक है।
जिंसों की ऊंची कीमतों पर बात करते हुए रामकृष्णन कहते हैं कि मुझे नहीं लगता है कि भारत में वृद्धि कोई चुनौती है। लेकिन, मुनाफा के साथ वृद्धि हासिल करना चुनौती जरूर है।
वह समझाते हैं, ‘मैंने पिछले कुछ महीनों में जिंसों की कीमतों में नरमी देखी है। यह एक व्यापक प्रभाव है और इसे पूरी तरह से अमल में लाने में कुछ महीने लग सकते हैं। हम सभी आशान्वित हैं कि यदि इसमें कुछ और नरमी आती है तो इससे कंपनियों अधिक निवेश करने और वृद्धि को बढ़ावा देने में भी मदद मिलेगी। उम्मीदों है कि आगामी महीनों में अच्छी प्रवृत्ति होगी।’