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हफ्ते में 70 घंटे काम के बयान पर बँटी राय, इंफोसिस फाउंडर नारायण मूर्ति की बात पर उद्योगपतियों ने रखे विचार

upGrad के रोनी स्क्रूवाला ने कहा, ‘काम की उत्पादकता बढ़ाने के लिए लंबे समय तक काम करना ही अहम नहीं होता है बल्कि जरूरी यह है कि आप जो कर रहे हैं उसे कितना बेहतर कर पा रहे हैं।

Last Updated- October 27, 2023 | 11:37 PM IST
Narayana Murthy cautions the public not to fall prey to deep fake videos

इन्फोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने एक साक्षात्कार में कहा कि भारत की कार्य संस्कृति में बदलाव की दरकार है और देश को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा करने के लिए तैयार रहने के मकसद से युवाओं को हफ्ते में 70 घंटे काम करने के लिए तैयार रहना चाहिए। इस साक्षात्कार के बाद से देश के कॉरपोरेट जगत में चर्चा छिड़ गई है।

मोहनदास पई को 3वन4 कैपिटल पॉडकास्ट, ‘द रिकॉर्ड’ के लिए दिए गए साक्षात्कार में मूर्ति ने गुरुवार को कहा कि भारत को अपनी कार्य उत्पादकता में सुधार करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, ‘जब तक हम अपनी कार्य उत्पादकता में सुधार नहीं करते हैं, जब तक हम सरकार में एक स्तर पर भ्रष्टाचार को कम नहीं करते हैं जिसके बारे में हम ऐसा पढ़ते रहे हैं और मुझे इसकी सच्चाई नहीं पता है और जब तक हम अफसरशाही प्रक्रिया के तहत निर्णय लेने में होने वाली देरी को कम नहीं करते हैं तब तक हम उन देशों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगे जिन्होंने जबरदस्त प्रगति की है। इसलिए मैं अपने देश को युवाओं से आग्रह करता हूं कि वे कहें कि ‘यह मेरा देश है। मैं हफ्ते में 70 घंटे काम करना चाहूंगा।’

उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मनी और जापान में काम की परिस्थितियों की मिसाल दी और कहा, ‘द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मनी और जापान के लोगों ने यही किया। इन देशों के लोगों ने यह सुनिश्चित किया कि सभी लोग कुछ सालों तक कुछ अतिरिक्त घंटे तक काम करें।’

मूर्ति को इस बयान के लिए सराहना के साथ समर्थन भी मिला। ओला के सह संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) भवीश अग्रवाल ने एक्स पर उनका समर्थन करते हुए ट्वीट किया, ‘मैं मूर्ति के विचारों से पूर्ण रूप से सहमत हूं। यह वक्त कम काम करने और अपना मनोरंजन करने का नहीं है। इसके बजाय हमारे लिए यह मुफीद वक्त है कि हम एक पीढ़ी को तैयार करने में अपना वक्त दें जिसके लिए कई देशों ने कई पीढ़ियों तक काम किया है।’

जेएसडब्ल्यू समूह के अध्यक्ष सज्जन जिंदल ने मूर्ति के बयान का समर्थन करते हुए बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा कि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए कड़ी मेहनत करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, ‘इसके लिए इस पीढ़ी को और अगली पीढ़ी को भविष्य की पीढ़ी के लिए अपना योगदान देना होगा। जिन देशों में हफ्ते में चार दिन काम हो रहा है, उनकी पिछली पीढि़यों ने काफी मेहनत की है और अब जाकर वे हफ्ते में चार दिन काम कर रहे हैं।’

जिंदल ने कहा, ‘मेरे पिता सप्ताह में 7 दिन रोजाना 12 से 14 घंटे काम करते थे। मैं हफ्ते में कम से कम छह दिन रोजाना 10 घंटे काम करता हूं और मैं अपने बेटे से यह उम्मीद नहीं करता हूं कि वह भी इतनी मेहनत करें।’

इन्फोसिस के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ), एचआर प्रमुख और बोर्ड सदस्य टी वी मोहनदास पई ने कहा, ‘आमतौर पर युवाओं को कड़ी मेहनत करने और अपनी छाप छोड़ने की सलाह दी जाती है। जब काम की उत्पादकता बढ़ती है तब उनका व्यक्तिगत मूल्य भी बढ़ जाता है।’

क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज मंच वजीरएक्स के उपाध्यक्ष राजगोपाल मेनन ने मूर्ति के बयान का समर्थन करते हुए कहा, ‘हम राष्ट्र-निर्माण के चरण पर हैं और भारत में कम उत्पादकता, भ्रष्टाचार की दिक्कत है। हमें बेहतर अफसरशाही और काम की बेहतर नीति की जरूरत है।’

वहीं श्री सीमेंट के अध्यक्ष हरि मोहन बांगड़ कहते हैं कि यह निजी चुनाव का विषय होना चाहिए और इसे किसी पर थोपा नहीं जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘कारोबार सीखने के लिए अमूमन 10,000 घंटे काम करने की और इसमें दक्षता हासिल करने के लिए 20,000 घंटे काम करने की जरूरत है। लेकिन कोई इसे कितनी जल्दी सीख लेता है यह उस व्यक्ति पर छोड़ देना चाहिए।’

अपग्रेड के रोनी स्क्रूवाला ने एक्स पर पोस्ट लिखा, ‘काम की उत्पादकता बढ़ाने के लिए लंबे समय तक काम करना ही अहम नहीं होता है बल्कि जरूरी यह है कि आप जो कर रहे हैं उसे कितना बेहतर कर पा रहे हैं और अपनी क्षमता बढ़ा रहे हैं। इसके अलावा काम के सकारात्मक माहौल के साथ ही काम पूरा होने पर उचित पारिश्रमिक मिलना भी जरूरी है।’

इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी हाई-कॉम नेटवर्क के सीईओ सुखबीर सिंह भाटिया कहते हैं, ‘काम-जीवन के बीच संतुलन बिठाने वाली संस्कृति से नवाचार, रचनात्मकता के लिए प्रोत्साहन मिलने के साथ ही कर्मचारियों की संतुष्टि का स्तर भी बढ़ेगा। सफलता के लिए ये सभी कारक अहम हैं।’ फाइब के सह-संस्थापक और सीईओ अक्षय मेहरोत्रा कहते हैं कि वह जीवन और काम में संतुलन को तरजीह देते हैं और उत्पादकता का संबंध कई घंटे काम करने से नहीं है बल्कि नतीजे देने के लिए पूरा प्रयास किया जाना अहम है।

हालांकि काम-जीवन के बीच संतुलन बिठाने से जुड़ा विमर्श किसी भौगोलिक दायरे तक ही सीमित नहीं है। ट्विटर का अधिग्रहण करने वाले एलन मस्क खूब काम करने के लिए मशहूर हैं और उन्होंने कथित तौर पर ट्विटर के कर्मचारियों को रात के 2 बजे एक ईमेल भेजकर उन्हें ज्यादा मेहनत करने और लंबे समय तक काम करने का आदेश दिया। इसके चलते कंपनी में इस्तीफा देने की दर बढ़ गई।

वर्ष 2019 में भी जैक मा ने युवाओं को एक दिन में 12 घंटे और हफ्ते में छह दिन काम करने की सलाह दी जिसके बाद विवाद बढ़ गया। हालांकि उसके बाद उन्होंने कहा कि लोग तकनीक की मदद से हफ्ते में तीन दिन और एक दिन में चार घंटे भी काम कर सकते हैं।

(साथ में ईशिता आयान दत्त, आयुष्मान बरुआ, शाइन जैकब, अजिंक्य कावले)

First Published - October 27, 2023 | 11:05 PM IST

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