ऑनलाइन रियल-मनी Gaming Conpanies ने मंगलवार को अपनी सेवाओं पर 28 फीसदी वस्तु एवं सेवा कर (GST) लगाने का विरोध किया और तर्क दिया कि यह कर मूल रूप से खामियों से भरा है और कानूनी व्यवस्था के विपरीत है।
ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों (याचिकाकर्ताओं) की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता वी. श्रीधरन ने तर्क दिया कि अधिकारियों ने जिस तरह से कोशिश की, उस हिसाब से अक्टूबर 2023 से पहले के जीएसटी प्रावधान ऑनलाइन गेमिंग ऑपरेटरों पर 28 फीसदी कर लगाने के लिए अपर्याप्त थे। 2018 में लागू किए गए जीएसटी नियमों के नियम 31ए (लॉटरी, सट्टा, जुआ और घुड़दौड़ के मामले में आपूर्ति का मूल्य) पर सरकार के आधार को चुनौती दी गई क्योंकि इस नियम में केंद्रीय जीएसटी अधिनियम के तहत सांविधिक अधिकार का अभाव था।
श्रीधरन ने तर्क दिया कि नियम 31ए, (जो सट्टेबाजी और जुए के मूल्यांकन तरीके निर्धारित करता है) सीजीएसटी अधिनियम की धारा 15(5) के तहत अनिवार्य दो चरण वाली प्रक्रिया का अनुपालन नहीं करता। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से यह नियम कार्रवाई योग्य दावों को कर योग्य आपूर्ति के रूप में पहले ही अधिसूचित किए बिना जारी किया गया था, जिससे यह अप्रभावी और अमान्य हो गया।
उन्होंने तर्क दिया कि वस्तु दर अधिसूचना में संशोधन करके सट्टेबाजी और जुए जैसे कार्रवाई योग्य दावों पर वस्तु के रूप में कर लगाने के प्रयास भी त्रुटिपूर्ण थे। 1 अक्टूबर, 2023 तक सीमा शुल्क टैरिफ अनुसूची में कार्रवाई योग्य दावों के लिए कोई प्रविष्टि नहीं थी, जिससे जीएसटी के तहत उन्हें वस्तु के रूप में वर्गीकृत करना अव्यावहारिक हो गया।