आयकर विभाग (IT Department) सहकारी बैंकों, निधि कंपनियों, विदेशी मुद्रा डीलरों और अचल संपत्तियों के उप-पंजीयकों जैसी 50 से 60 रिपोर्टिंग इकाइयों की जांच कर रहा है। विभाग ने ऐसी रिपोर्टिंग इकाइयों की सूची तैयार कर ली है, जिन्होंने पिछले दो वित्त वर्षों में वित्तीय लेनदेन की जानकारी (एसएफटी) नहीं दी है। इनका मौके पर जाकर या भौतिक सत्यापन किया जाएगा।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि इन रिपोर्टिंग इकाइयों ने वित्त वर्ष 2021-22 और 2022-23 तथा कैलेंडर वर्ष 2021 और 2022 के दौरान हुए बड़ी कीमत के सौदों की जानकारी नहीं दी। कुछ जानकारी दी गई है मगर वह भी सटीक नहीं है।
रिपोर्टिंग इकाइयों की जांच इसलिए की जा रही है क्योंकि पिछले 2-3 साल में नकद जमा, क्रेडिट कार्ड से खरीद जैसे कुछ खास लेनदेन की जानकारी नहीं दी गई। विभाग मानता है कि कर आधार बढ़ाने के लिए यह देखते रहना जरूरी हो गया है कि रिपोर्टिंग इकाइयां लेनदेन की जानकारी देने में मुस्तैद हैं या नहीं।
कर विभाग इन इकाइयों को आयकर अधिनियम की धारा 133(6) के तहत नोटिस जारी करने की तैयारी में है। उक्त धारा लेनदेन का सत्यापन करने के लिए जानकारी हासिल करने से संबंधित है।
एसएफटी वार्षिक रिपोर्ट है, जो कुछ निर्धारित इकाइयों (बैंक, गैर-बैंक ऋणदाता और लाभांश, डिबेंचर, बॉन्ड तथा शेयर जारी करने वाली कंपनियों) को एक निश्चित कीमत से ऊपर के लेनदेन की जानकारी कर विभाग को देनी होती है। इसके साथ ही कर अधिकारी निर्धारित वित्तीय संस्थानों (कस्टोडियल, डिपॉजिटरी) के लिए मानक प्रक्रिया को भी अंतिम रूप देने में लगे हैं, जिन्हें विदेश में रहने वाले खाताधारकों की जानकारी वहां के कर अधिकारियों को देनी होती है। मामले की जानकारी रखने वाले दो सरकारी अधिकारियों ने कहा कि इससे खाताधारकों के बारे में त्रुटिपूर्ण जानकारी पर भी अंकुश लगेगा।
वित्त वर्ष 2023 के लिए वित्तीय लेनदेन का विवरण दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 मई, 2023 थी। एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘जानकारी में खामी का पता लगाया गया है और उसके मुताबिक ही सूची तैयार की गई है।’
एसएफटी दाखिल करने में देर करने पर 1,000 रुपये रोजाना तक जुर्माना लगाया जा सकता है। विवरण दाखिल नहीं करने या गलत विवरण देने पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।
ईवाई इंडिया में वरिष्ठ टैक्स पार्टनर सुधीर कपाड़िया ने कहा, ‘हर प्रकार की जानकारी ली जाती है और कर विभाग वित्तीय जानकारी का विश्लेषण भी करता है। इसलिए अनुपालन की विभाग की अपेक्षा स्वाभाविक है। इससे दो मकसद पूरे हुए हैं। एक तो यह आय कम दिखाने के आदी करदाताओं को रोकता है और यह भी सुनिश्चित करता है कि अर्थव्यवस्था में होने वाला मूल्यवर्द्धन कर आधार में नजर आए। इससे सरकार को कर की दरें नरम बनाए रखने में मदद मिलती है।’
एसएफटी से जुटाई गई जानकारी की मदद से कर अधिकारी करदाताओं के रिटर्न फॉर्म को पहले से भर लेंगे और स्वैच्छिक अनुपालन को भी बढ़ावा देंगे। विभाग ई-सत्यापन योजना के तहत यह जांचने के लिए भी तीसरे पक्ष की जानकारी इस्तेमाल करता है कि करदाताओं द्वारा बताई गई आय कहीं से बेमेल तो नहीं है।