सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ऑयल ऐंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) ने बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) से नए संचालन नियमों से छूट दिए जाने का अनुरोध किया है। ओएनजीसी ने निदेशक मंडल की संरचना और इसके आकार से जुड़े प्रावधानों से विशेष रूप से छूट मांगी है। सूचीबद्धता संबंधी दिशानिर्देशों का पालन नहीं करने के लिए स्टॉक एक्सचेंज ओएनजीसी सहित कई सार्वजनिक उपक्रमों पर जुर्माना लगा चुके हैं और उनके खिलाफ नियामकीय कार्रवाई भी की गई है। लंबे समय तक नियमों का अनुपालन नहीं करने की सूरत में इन सार्वजनिक उपक्रमों को एक्सचेंज पर कारोबार करने से रोका भी जा सकता है। इन बातों के मद्देनजर ही ओएनजीसी ने सेबी से विशेष अनुरोध किया है।
ओएनजीसी ने कहा है कि उस पर सरकार का नियंत्रण है और कार्यकारी निदेशकों एवं गैर-कार्यकारी निदेशकों सहित निदेशक मंडल में नियुक्तियां करने का अधिकार सरकार के पास है। कंपनी के अनुसार सार्वजनिक उपक्रम होने के नाते प्रदर्शन के मूल्यांकन से जुड़े प्रावधान उस पर लागू नहीं होते हैं, इसलिए उसे सेबी की सूचीबद्धता एवं खुलासा संबंधी नियमों से बाहर रखा जाना चाहिए। इस विषय पर ओएजीसी को भेजे ई-मेल का कोई जवाब नहीं आया।
ओएनजीसी ने आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन (कंपनी के परिचालन से जुड़े दिशानिर्देश एवं उद्देश्य संबंधी दस्तावेज) प्रावधानों के तहत कंपनी मामलों के मंत्रालय से भी ऐसी ही छूट की मांग की है। सूत्रों का कहना है कि मंत्रालय ने ओएनजीसी को कंपनी कानून के तहत मूल्यांकन एवं निदेशक मंडल के प्रदर्शन संबंधी प्रावधानों की जद से बाहर कर दिया है।
सार्वजनिक उपक्रम कई मौकों पर सूचीबद्धता दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते पाए गए हैं। कई सार्वजनिक उपक्रम महिला निदेशकों की नियुक्ति नहीं कर पाए हैं या उनके निदेशक मंडलों में जरूरी संख्या में स्वतंत्र निदेशक नहीं हैं।
एक कंपनी सचिव ने कहा, ‘सरकार नियंत्रित इकाइयों के लिए नए संचालन नियमों का क्रियान्वयन करना मुश्किल है। सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र की कंपनियों के बीच संचालन प्रक्रियाओं में खासा अंतर है।’
सूचीबद्ध कंपनियों के लिए जो नियम-कायदे तय किए गए हैं, उनमें निदेशक मंडल के प्रदर्शन का तिमाही आधार पर खुलासा करना भी शामिल है। इसके तहत पूरे निदेशक मंडल, निदेशकों (स्वतंत्र एवं चेयरमैन) और निदेशक मंडल की विभिन्न समितियों का प्रदर्शन भी शामिल हैं। इससे पहले भी संचालन नियमों का उल्लंघन करने के लिए ओएनजीसी पर जुर्माना लगाया जा चुका है। उस समय एनएसई ने कंपनी पर 1.30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। हालांकि प्राइम डेटाबेस के संस्थापक पृथ्वी हल्दिया की राय में सार्वजनिक उपक्रमों को हमेशा इन नियमों से छूट दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘इन कंपनियों का संचालन निदेशक मंडल नहीं बल्कि मंत्रालय करते हैं। सभी निदेशकों की नियुक्ति भी सरकार ही करती है।’